एजुकेशनवाराणसी

काशी विद्यापीठ: उच्च शिक्षा में भारतीय ज्ञान प्रणाली पर हुआ व्याख्यान

मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा आयोजित मल्टी डिसिप्लीनरी रिफ्रेशर कोर्स का छठवां दिन
डॉ शिव यादव
वाराणसी। मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, शिक्षाशास्त्र विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ द्वारा आयोजित मल्टीडिसिप्लीनरी रिफ्रेशर कोर्स के छठे दिन सोमवार को उच्च शिक्षा में भारतीय ज्ञान प्रणाली पर व्याख्यान हुआ। प्रथम सत्र में शिक्षाशास्त्र विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय की डॉ. सुनीता सिंह ने ‘उच्च शिक्षा में भारतीय ज्ञान प्रणाली पर केंद्रित पाठ्यक्रम और शिक्षणशास्त्र’ पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान को अक्सर सनातनी से जोड़ा जाता है, जबकि वास्तविकता यह है कि भारतीय ज्ञान केवल उपनिषद, वेद, पुराण तक ही सिमित नहीं है, अपितु इसमें गणित, रसायनशास्त्र, भौतिकी, सहित अनेक विषयों को समाहित किया जाता है।

उन्होंने बताया कि हमारी भावी पीढ़ी को भारतीय ज्ञान से वास्तविक अर्थ में परिचय कराने हेतु वर्तमान शिक्षा व्यवस्था के पाठ्यक्रम एवं शिक्षण में व्यापक परिवर्तन करना होगा। इसके लिए बच्चों को ऐसे जगहों पर ले जाना होगा जहां पर उनको प्रत्यक्ष ज्ञान का अनुभव हो सके तभी भारत को भविष्य में एक बार पुनः विश्वगुरु के रूप में स्थापित किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने कहा की ज्ञान को दूसरों को देना भी होगा और दूसरों से ज्ञान लेना भी होगा।

द्वितीय सत्र में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्विद्यालय के निर्देशक प्रो. सी बी शर्मा ने “भारतीय ज्ञान प्रणाली और राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020” विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि भारतीय दृष्टिकोण सार्वभौमिक कल्याण को बढ़ावा देता है। इसे विश्व के समक्ष प्रभावी रूप से प्रस्तुत करने के लिए, हमें अपनी समृद्ध विरासत को पुनर्जीवित करना होगा और विद्वानों की ऐसी पीढ़ी तैयार करनी होगी, जो इसका प्रत्यक्ष उदाहरण बन सके।  राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत की प्राचीन एवं शाश्वत परंपराओं, ज्ञान, विज्ञान और जीवन दर्शन को मान्यता देती है, जो अनुभव, अवलोकन और विश्लेषण पर आधारित हैं।

इन प्रणालियों ने शिक्षा, कला, कानून, स्वास्थ्य और वाणिज्य सहित विभिन्न क्षेत्रों को गहराई से प्रभावित किया है तथा पाठ्य, मौखिक और कलात्मक परंपराओं के माध्यम से ज्ञान को संरक्षित किया है। “भारत का ज्ञान” न केवल भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियों और चुनौतियों को समेटे हुए है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण सहित समग्र रूप से भविष्य की आकांक्षाओं को भी प्रतिबिंबित करता है।

भारतीय ज्ञान को आगे ले जाना देश, लोक एवं विश्व कल्याण के लिए आवश्यक है। इसके लिए देश की संस्थाओं को स्वायतता दिया जाना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पाठ्यक्रम को क्रिया आधारित किया गया है न कि ज्ञान आधारित। स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र राम, संचालन विनय सिंह, विद्वानों का परिचय प्रो. रमाकांत सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. बनश्री खास्नोबिस ने किया।

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