वाराणसी

दो दिवसीय छाया चित्र प्रदर्शनी का कुलपति ने किया समापन

कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा बोलें छाया चित्र प्रदर्शनी से युवा लें ज्ञान

एफ. फारुकी

वाराणसी। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी में सेलुलर जेल पर आयोजित दो दिवसीय छाया चित्र प्रदर्शनी का समापन कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा (सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी), विशिष्ट अतिथि राकेश कुमार (आई ए एस) कुलसचिव सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी, विशिष्ट अतिथि रीना सिंह ( विनर कोहिनूर मिसेज इण्डिया) प्रो. जितेन्द्र शाही, प्रो. राजनाथ (विभागाध्यक्ष सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी) पुरातत्व संग्रहालय अध्यक्ष डा. विमल कुमार त्रिपाठी (अध्यक्ष, पुरातत्व संग्रहालय सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी) डा. कैलाश सिंह विकास (राष्ट्रीय अध्यक्ष आईएजे) छायाकार राजकुमार प्रसून की उपस्थित में समापन हुआ।

छाया चित्र प्रदर्शनी का आयोजन सामाजिक विज्ञान विभाग पुरातत्व संग्रहालय सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी तथा इण्डियन एसोसिएशन ऑफ जनर्लिस्ट (आईएजे) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था।
ज्ञातव्य हो कि छाया चित्र प्रदर्शनी में प्रमुख छायाकार राजकुमार प्रसून ने 2015 में अंडमान निकोबार स्थित सेलुलर जेल पर छायाचित्र किया था। 2016 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दो दिवसीय प्रदर्शनी आयोजित रहा। इस बार गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रदर्शनी आयोजित किया गया था।
उक्त अवसर पर अतिथियों ने प्रदर्शनी को और व्यापक रूप देने, सेनानी के बारे में युवाओं को अधिक से अधिक जानकारी देने का आवाहन किया। कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने कहा छाया चित्र प्रदर्शनी से युवा ज्ञान ले, सच्चे राष्ट्रभक्त बने, सच्चाई के साथ राष्ट्र निर्माण में लगे।
समारोह में सर्वश्री प्रो रामपूजन त्रिपाठी, प्रो शैलेश कुमार मिश्र, प्रो महेंद्र नाथ पाण्डेय, प्रो राजनाथ, प्रो जितेन्द्र शाही,प्रो रजनीश शुक्ला ,डा विमल कुमार त्रिपाठी, डा कैलाश सिंह विकास, मोहम्मद दाऊद, आंनद कुमार सिंह,राजू वर्मा, संजय पाण्डेय, विक्की वर्मा, राकेश विश्वकर्मा, विनय कुमार, मुकेश पाण्डेय, अनिल कुमार सुमन, नित्यानंद यादव, मनोज कुमार, रमेश यादव, अमित पांडेय,वैभव श्रीवास्तव, सहित छात्र छात्राएं, विव्दत्तगण, वरिष्ठ आचार्य, उपस्थित रहे।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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