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मदरसों में डर व खौफ का माहौल बनाया जा रहा-ज़मा

प्रदेश के कामिल व फाज़िल स्टूडेंट्स को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय से सम्बद्ध किया जाए

वाराणसी। टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया उत्तर प्रदेश ने कामिल व फाज़िल को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ से सम्बद्ध कर 38000 छात्र-छात्राओं को राहत देने की मांग की है। मदरसों के साथ अब तक जारी सरकारी आदेश के अनुसार पालन न होने से शिक्षकों का शोषण बढ़ता जा रहा है। अधिकारी मदरसा नियमावली से अगे बढ़कर फैसले ले रहे हैं। सरकार हर महीने मदरसों के जांच के आदेश तो जारी कर दे रही है लेकिन इस के लिए कोई दिशा-निर्देश नहीं बना रही जिसका परिणाम यह है कि अधिकारी मदरसों की जांच कर रिपोर्ट नहीं जारी करते बल्कि कमियां बता कर शिक्षकों व कर्मचारियों का शोषण कर रहे हैं। माननीय सर्वोच्च न्यायालाय ने अपने फैसले में मदरसों पर हो रहे हर आपत्ति पर अपनी राय व्यक्त कर दी है। मदरसा बोर्ड को सविधान के अनुसार वैध मानते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालाय मदरसों में धार्मिक शिक्षा की अर्थ, महत्व और आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। न्यायालय ने इसे एक बच्चे के सर्वांगीण विकास का माध्यम बताया है इसके बावजूद डर व खौफ का माहौल बनाया जा रहा है। इसे समाप्त किया जाना आवश्यक है। एसोसीएशन के महामंत्री दिवान साहेब ज़माँ ने यह मांग पराड़कर स्मृति भवन वाराणसी के ज़िला सम्मेलन में की। उन्होंने कहा कि इस कठिन व विपरीत परिस्थिति में भी शिक्षकों से जबरन त्याग पत्र लिये जा रहें हैं। उन्हें रीटायरमेंट लेने को मजबूर किया जा रहा है। जो नियम विरुद्ध है। इससे मदरसों की बदनामी हो रही है। शासनादेश का पालन न करते हुए शिक्षकों का वेतन मनमाने ढंग से रोका जा रहा है फिर सौदेबाजी कर इसे जारी कर दिया जा रहा है। नौकरी जाने के डर से डरा-सहमा शिक्षक हर शर्त पर जीने को मजबूर है। शिक्षकों को इस स्थिति से निकालने के लिए नियमावली 2016 में निलम्बन, निष्कासन, दंड और अपील का विस्तृत नियम सम्मीलित किया जाना अनिवार्य है। मुख्य अतिथि विजय कुमार सिंह ने कहा कि अरबी मदारिस के छात्र-छात्राओं के लिये कामिल व फाज़िल कक्षाओं का होना आवश्यक है। इस सम्बन्ध में जो भी कानूनी सहायता होगी हर सम्भव की जायेगी। पूर्व एमएलसी डा. प्रमोद कुमार मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि हम सबके प्रिय नेता स्व० ओम प्रकाश शर्मा ने शिक्षकों एवं कर्मचारियों को ऐसी समस्याओं से निपटने के लिये शिक्षक महासंघ एवं शिक्षक-कर्मचारी समन्वय समिति बनाकर माध्यमिक, बेसिक, अरबी मदारिस और संस्कृत पाठशाला जैसी अन्य संगठनों को एक साथ चलने का संदेश दिया। जिसकी आवश्यकता एवं महत्व हम सब अच्छी तरह समझ रहे हैं। आज उसी की देन है कि हम सब एक स्थान पर बैठ कर अपनी समस्याओं के समाधान की चर्चा करते हैं। ज़िला सिक्रेटरी डा. नबीजान ने कहा कि 22 मार्च 2024 को हाईकोर्ट के निर्णय के बाद से अरबी मदारिस पर एक तुफान आ गया था। जिसका मुकाबला एसोसीएशन ने आप सभी लोगों के सहयोग से किया और कामयाबी हासिल की। एसोसीएशन हमारी और आपकी ताकत है। जिससे हम अपनी सेवा और अधिकारों की सुरक्षा कर सकते हैं। जिसकी मौजूदा मिसाल सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय है। इसलिये संगठन को जितना ही मज़बूत व ताकतवर करेंगे उतनी आसानी से समस्याओं का समाधान होगा। अरबी मदारिस में आज भी हर मोड़ पर कई कठिन समस्यायें बाधा बनी है। जिसका हल एकता और निरन्तर प्रयास में है। मौलाना रियाजुद्दीन नोमानी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि अरबी मदरसों की शिक्षा के बारे में यह कहा जाता है कि इसमें वर्तमान समय के अनुसार शिक्षा नहीं दी जाती है। जबकि अरबी मदारिस में उर्दू अरबी के अतिरिक्त हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, सामाजिक विषय, साइंस और कम्प्यूटर आदि की शिक्षा दी जाती है। यहाँ से शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेते हैं और वहाँ से नुमायां कामयावी हासिल करके मुल्क का नाम रौशन करते हैं। हम लोगों ने हमेशा यह मांग की है कि अरबी मदारिस को किसी विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कर दिया जाय ताकि कामिल व फाजिल की डिग्रियों अन्य स्नातक व स्नातकोत्तर डिग्रियों की तरह मान ली जायें और उसे कानूनी दर्जा हासिल हो सके। ज़िला सम्मेलन में उच्च न्यायालय के एडवोकेट मुहम्मद अली औसाफ व संकल्प नारायण सिंह, एसोसीएशन के संयुक्त महासचिव हकीम अब्दुल हक (जौनपुर), हाफिज़ सलाहुद्दीन (जिलाध्यक्ष भदोही) प्रान्तीय कार्यकारिणी सदस्य मौलाना नज़म अली खाँ (मीरजापुर), मौलाना शाहनवाज (प्रधानाचार्य, मऊ) मौलाना मकसूद आलम आदि ने विचार व्यक्त किये। कान्फ्रेन्स की अध्यक्षता मौलान रियाजुद्दीन नोमानी और संचालन डा० नबीजान ने की। कारी मुहम्मद मसूद अली ने तेलावते कलामे पाक से सम्मेलन का आगाज़ किया और मौलाना फैजुल्लाह प्रधानाचार्य जामिया फारुकिया ने सम्मेलन में आये सभी अतिथियों का धन्यवाद प्रस्तुत किया। मौलाना मुहम्मद ज़ाहिद हुसैन ने एकता, अमन व शान्ति तथा शिक्षकों एवं कर्मचारियों की समस्याओं के अतिशीघ्र समाधान और सेवा सुरक्षा के लिये दुआ की। सम्मेलन में अरबी मदारिस के ओलमा (धर्मगुरु), शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी अधिक संख्या में उपस्थित रहे।

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