देशधर्म

अजमेर दरगाह प्रमुख बोले: आज के कठिन समय में हमें अमन की जरूरत 

अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के उर्स की छठी पर खादिमों ने मांगी दुआएं 

सरफराज अहमद

अजमेर। ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का सालाना 813वां उर्स पर मंगलवार को रजब की 6 तारीख को छठी के कुल शरीफ की रस्म संपन्न हो गई। इस अवसर पर दरगाह में खास आयोजन किए गए। खादिमों ने जायरीन और देश के लिए दुआएं मांगी। दरगाह के दीवान, सैयद जैनुलआबेदीन ने दागोल की रस्म अदा की और जन्नती दरवाजे में दाखिल हुए। इसके बाद दरवाजे को बंद कर दिया गया। जो अगले 6 दिनों तक उर्स के दौरान खोला गया था। अजमेर दरगाह प्रमुख ने इस अवसर पर देशवासियों के नाम एक पैगाम भी दिया।

अजमेर दरगाह के दीवान आध्यात्मिक प्रमुख सैयद जैनुल आबेदीन ने इस संबंध में मीडिया से बातचीत में कहा कि आज ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैह के 813वें सालाना उर्स के मौके पर हम सब उनके बताएं हुए रास्ते पर चलने का संकल्प लें। हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम, हजरत अली रजिअल्लाहो अन्हो, हजरत ख्वाजा उस्मान रहमतुल्लाह अलेह के दिखाए हुए रास्ते और उनकी तालीमात पर अमल करते हुए दुनिया में इंसानियत का संदेश फैलाएं।

उन्होंने कहा कि जब तक दुनिया, इंसानियत इन तालीमात को मानती रहेगी, वह अपने आप को हर बुराई से बचा पाएगी। लेकिन जब से दुनिया ने इन तालीमात को छोड़ दिया है, वह बुराइयों समस्याओं में घिरी हुई है। आज के इस कठिन समय में हमें अमन की जरूरत है, वह सिर्फ बुजुर्गों सच्चे पीरों के बताए रास्ते पर चलकर ही पाया जा सकता है।उन्होंने कहा कि मेरी आप सभी से अपील है कि जब भी आप अपने ईमान का इज़हार करें, तो हजरत ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलेह के पैगाम पर अमल करें। उनकी सबसे सरल प्रभावी तालीमों को अपनी जिंदगी में उतारें, क्योंकि यही उनकी अकीदत का सबसे बड़ा तरीका होगा। अल्लाह से दुआ है कि वह हमें उनकी तालीमों पर चलने की ताकत दे… हमारे देश को तरक्की और खुशहाली की राह दिखाए…आमीन।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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