राष्ट्रीय संगोष्ठीवाराणसी

शिक्षा के राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण में शिक्षक मुख्य भूमिका का करें निर्वाह : प्रो०आनंद


वाराणासी । नीबिया, बच्छाँव,वाराणासी के शेपा संस्थान में किया गया।मुख्य अतिथि के रूप में एम. जी. काशी विद्यापीठ वाराणसी के.कुलपति प्रो आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि समाज की दिशा और दशा दोनों शिक्षकों से ही निर्धारित होती है।सभी शिक्षक अत्यंत महत्त्वपूर्ण होते हैं वे जिस भी स्तर के हों,और राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ इन सभी को एक साथ जोड़कर एक साथ विमर्श का अवसर प्रदान करता है।हमें राष्ट्र निर्माण की ओर छात्रों को मोड़ना है।भारत एक युवा देश है।युवा शक्ति का सदुपयोग करके ही समाज और देश को आगे ले जा सकते हैं।ज्ञान के बल पर ही हम दुनिया में आगे बढ़ सकते हैं,और ज्ञान शिक्षकों के पास है उसे हमें अपने विद्यार्थियों तक पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से पहुंचाना है।हमे केवल सूचना ही नहीं देना है बल्कि ज्ञान देना है।राष्ट्रीय चरित्र को सबसे ऊपर रखना होगा।हमें ज्ञान का नवाचार,संचयन करना है और उस ज्ञान को दूसरों तक पहुंचाना होगा।हमें सतत विकास पर भी ध्यान देना होगा।अपने विद्यार्थियों में मानवीय दृष्टिकोण को आत्मसात कराना होगा,ताकि उनका समाज से सरोकार स्थापित हो।
विशिष्ट अतिथि महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय आज़मगढ़ के मा. कुलपति प्रो.संजीव कुमार ने अपने उदबोधन में कहा कि युवा ही किसी भी समाज के थाती होते हैं।शिक्षक तो हमेशा युवा ही रहता है,क्योंकि उसका मष्तिष्क हमेशा कुछ न कुछ नया सीखता रहता है।मानसिक रूप से युवा बने रहना ही असली युवा की पहचान है।
हंडिया पी. जी.कॉलेज के पूर्व प्राचार्य एवं विद्याभारती उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष डॉ रघुराज सिंह ने कहा कि कर्तव्य के साथ ही सहयोग,सदभावना और सभी के प्रति प्रेम का बोध हो।हम सभी स्वावलंबी बनें,स्वाध्यायी बनें।कर्म के साथ धर्म भी हो,भोग के साथ त्याग भी हो।पूरी सृष्टि के प्रति सम्मान हो।सतयुग, त्रेता,द्वापर एवं कलयुग काल का भी उल्लेख किया।हमें विद्या,शिक्षा एवं ज्ञान के संबंध में भी पाथेय दिया।
अध्यक्षता करते हुए एम. जी.काशी विद्यापीठ के पूर्व कुलपति एवं शेपा के निदेशक प्रो पृथ्वीश नाग ने अपने उदबोधन में कहा कि तकनीकी ने हमें युवा बनाया है। प्रो नाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को पूरी तरह से लागू करने पर जोर दिया।
विषय प्रवर्तन महासंघ के संरक्षक डॉ. दीना नाथ सिंह ने कहा कि कर्तव्य बोध दिवस स्वामी विवेकानन्द जी की जयंती से नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जयंती के मध्य प्रति वर्ष आयोजित करते हैं,उनके जीवन चरित पर भी विस्तृत प्रकाश डाला।ऐसे विद्वानों को सम्मानित किया जाता है जो अपने क्षेत्र में विशिष्ट योगदान दे रहे हैं।इस अवसर पर अध्यापन के क्षेत्र में पूरी निष्ठा, नवाचार औऱ कर्तव्यपरायणता से अध्यापन करने वाले विश्व विद्यालय,महाविद्यालय,माध्यमिक एवं प्राथमिक के 34 युवा शिक्षकों को सम्मानित भी किया गया,जिसमें मुख्य रूप से बीएचयू के प्रो अरविंद कुमार मिश्र, प्रो प्रभात कुमार सिंह,प्रो प्रेम प्रकाश सोलंकी,डॉ आर पी सोनकर, प्राचार्य डॉ राघवेंद्र पांडेय,प्रो मिथिलेश पांडेय,प्रो मनोज मिश्र, फुफ्क्ट के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ हिमांशु सिंह,डॉ श्याम बाबू वर्मा,डॉ मनोज कुमार सिंह,डॉ माया सिंह, डॉ संतोष सरोज, डॉ आराधना श्रीवास्तव,श्रीमती रजनी राय,जय प्रकाश यादव,मधुसूदन सिंह,डॉ रवि सिंह हिमांशु अग्रवाल,राजेश कुमार सिंह रहे।कार्यक्रम में अनेक विश्वविद्यालयों के कार्य परिषद सदस्य,प्राचार्य,प्रोफेसर,अध्यापकगण उपस्थित रहे,जिसमें मुख्य रूप से प्रो दया शंकर यादव,डॉ अरुण राय,प्रो नलिन मिश्रा, डॉ आशा सिंह,शेपा के सहायक कुलसचिव विजय सिंह,डॉ रामजी पाठक,प्रो माधवी तिवारी,प्रो ओ पी चौधरी,डॉ आस्था सिंह,डॉ अर्चना सिंह,डॉ सुनील कुमार सिंह गौतम,आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के प्रारंभ में मां सरस्वती स्वामी विवेकानंद एवं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की
फ़ोटो पर माल्यार्पण हुआ तत्पश्चात मंगलाचरण डॉ सरोज कुमार पांडेय एवं अमिताभ मिश्र ने तथा स्वागत गीत एवं कुलगीत शेपा की छात्राओं ने एवं डॉ. नरेंद्र देवपाठक ने अंत मे वंदे मातरम प्रस्तुत किया।संचालन डॉ. जगदीश सिंह दीक्षित,धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम सचिव  अमिताभ मिश्रा एवं स्वागत भाषण कार्यक्रम संयोजक प्रो. अंजू सिंह ने किया।

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