धर्म प्रयागराज

हिंदू बच्चों का मौलिक अधिकार है धर्म की शिक्षा:शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज

संविधान में संशोधन करके बच्चों को धर्म शिक्षा की व्यवस्था और वातावरण उपलब्ध कराया जाए
संजय पांडेय
महाकुंभ नगर। मानव जीवन के कई कोण हैं,जिनमे धार्मिकता भी सम्मिलित है। हमारा पूरा जीवन धर्म सम्मत बीतता है। इसलिए आरम्भिक जीवन में ही हम धर्म के नियम-विनियमों के साथ ही साथ उसके मर्म को भी शिक्षा के माध्यम से समझ लिया करते थे। यह माना जाता था कि धर्मविहीन जीवन पशु जीवन है। धर्मेण हीनः पशुभिः समानः। 
अध्ययन की समाप्ति के बाद गुरुकुल से घर लौटते समय हमारा गुरु अपने बच्चे को दीक्षान्त समारोह में आदेश देता था-सत्यम् वद।धर्मं चर आदि। जिसका तात्पर्य धर्मानुकूल जीवन बिताने के आदेश से होता था।
उक्त बातें परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती १००८ ने कही।
उन्होंने कहा कि इसलिए धर्मशिक्षा हमारे जीवन का अनिवार्य अङ्ग होती थी पर स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद स्वीकृत संविधान की धारा ३० ने देश के अल्पसंख्यकों को तो धार्मिक आधार पर शिक्षण संस्थान बनाने और सञ्चालित करने का अधिकार दिया पर हम बहुसंख्यकों को इस सुविधा से वञ्चित कर दिया।

परिणामस्वरूप आज ७५ वर्ष से आगे आ जाने पर भी हिन्दुओं के बच्चे धार्मिक शिक्षा से पूरी तरह वञ्चित होकर किङ्कर्तव्यविमूढ़ अथवा मतान्तर के लिए मजबूर हो रहे हैं।

आगे कहा कि परमधर्मसंसद् १००८ इस परमधर्मादेश के माध्यम से यह घोषित करती है कि धार्मिक शिक्षा प्राप्त करना हर हिन्दू बच्चे का मौलिक अधिकार है।आवयश्कता होने पर संविधान में संशोधन किया जाए।  हर हिन्दू बच्चे को उसके धर्म की शिक्षा प्राप्त करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था और वातावरण उपलब्ध कराया जाए।

आज विषय स्थापना नचिकेता जितेन्द्र खुराना ने की। विशिष्ट अतिथि डा रति जी रहीं।संसदीय सञ्चालन श्री देवेन्द्र पाण्डेय जी ने किया।

आज के विषय पर चर्चा में दे जी रैना जी,अनुसुइया प्रसाद उनियाल जी,स्वामी दयाशङ्कर दास जी,दङ्गल सिंह गुर्जर जी,सर्वभूतहृदयानप्द जी,सन्त त्यागी जी,गजेन्द्र सिंह यादव जी,निशान्त आनन्द जी,गणेश चन्ना जी,नागेन्द्र नाथ गिरी जी,सुनील कुमार शुक्ला जी आदि लोगों ने भाग लिया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button