कला दर्शन में हुआ भारतीय कला एवं साहित्य का प्रेरक प्रदर्शन
हिंदुस्तान संदेश
सुशील कुमार मिश्र/ वाराणसी
कलार्पण संस्था द्वारा आयोजित कला दर्शन समारोह का शुभारंभ पद्मश्री उमाशंकर पांडे जी मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि डॉक्टर पुरुषोत्तम सिंह प्राचार्य महाराजा पीजी कॉलेज वाराणसी, मार्गदर्शक के रूप में राजेंद्र सक्सेना क्षेत्र मार्ग प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, संस्था के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर शिव प्रकाश सिंह ,महामंत्री डॉ धनंजय सहित, प्रदेश अध्यक्ष दिगम्बर नारायण तिवारी ,डॉक्टर प्रेरणा चतुर्वेदी ,अधिवेशन संयोजक मनोज कुमार सहित विशिष्ट अधिकारियों ने दीप प्रज्ज्वलन किया गया।
जिसमें वेदपाठी विद्यार्थियों द्वारा मंगलाचरण तत्पश्चात राष्ट्रगान एवं संस्था के वार्षिक गतिविधियों पर प्रकाश डाला गया भारत के विभिन्न राज्यों से पधारे 246 कला साधक एवं साहित्य साधकों की उपस्थिति में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश ,बिहार ,राजस्थान ,छत्तीसगढ़ ,उत्तराखंड ,दिल्ली, गोवा राज्यों के प्रमुख प्रतिनिधियों ने अपने-अपने राज्य में होने वाले कला संस्कृति के कार्यक्रमों का विशेष उल्लेख किया ।
इसी प्रकार द्वितीय दिवस का कार्यक्रम नारी शक्ति एवं कला साधना में मातृशक्ति की भूमिका तथा परम वैभव के साथ कुटुंब प्रबोधन आदि विषयों के साथ व्याख्यान विमर्श कार्यक्रम संपन्न हुआ जिसमें मुख्य वक्ता डॉक्टर नीरजा माधव जी ने कहा कि भारत की नारियों को भारतीय संस्कृति के अनुरूप अपने जीवन को ढालना होगा। भारत की पहचान भारतीय संस्कृति से जुड़ना होगा, तभी हमारा देश नारी शक्ति के रूप में सशक्त राष्ट्र के रूप में जाना जाएगाl नारी ही वह शक्ति है। जो अभिमन्यु जैसा वीर का जन्म दे सकती है । नारी ही रामकृष्ण की जननी रही है । नारी ही संस्कार की स्वरूपा है। इसी क्रम में गीता शास्त्री जी, सुचारिता गुप्ता जी एवं डॉक्टर मंजरी पांडे जी ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।
इसी क्रम में संस्था के संरक्षक प्रोफेसर ओमपाल सिंह निडर जी की अध्यक्षता में कवि सम्मेलन का कार्यक्रम संपन्न हुआ जिसमें लखनऊ से डॉक्टर कुसुम चौधरी ,आगरा से कुमार प्रांजल प्रताप, हमीरपुर से शिवकरण सरस ,महोबा से शिवरीनारायण खरे ,नितेंद्र चौबे, बांदा से मनोज कुमार ,आनंद किशोर लाल ,दीनदयाल सोनी ,उरई से रामशंकर गौर ने अपनी प्रमुख कविताएं प्रस्तुत की कविता का संचालन दीनदयाल सोनी एवं डॉ प्रेरणा चतुर्वेदी ने किया साहित्यिक मंच के बाद संस्कृति कार्यक्रमों का भव्य प्रस्तुतीकरण किया गया जिसमें शास्त्री ध्रुपद गायन बृजेश कुमार शर्मा ललितपुर वहीं शास्त्री ख्याल गायन सुदेश कुमार खरे लखनऊ ने अपनी भव्य प्रस्तुति दी भजन गायन में दिल्ली से पधारे शारदा तनय मिश्रा एवं लखनऊ से पधारे सुबोध दुबे, श्रीमती सरोज खुल्बे,प्रियंका सक्सेना महोबा ,संगीता तिवारी छतरपुर, हरि नारायण मिश्रा बांदा, किरण देवी झांसी ,किरण सेठी बांदा, रघुवीर यादव मऊरानीपुर आदि ने अपनी प्रस्तुति दी वहीं कथक नृत्य की भाव भरी प्रस्तुति गुरु शिष्य परंपरा को जागृत करने वाली विदुषी संगीता सिन्हा नटराज संगीत अकादमी वाराणसी का भाव भरा सजीव प्रस्तुतीकरण किया गया उनके शिष्यों द्वारा अद्भुत प्रदर्शन करते हुए वहीं कथानक कत्थक पंडित बिरजू महाराज घराना के शिष्य राम प्रकाश मिश्रा द्वारा कथक नृत्य किया गया तथा कुमारी अनुपमा त्रिपाठी ,बांदा द्वारा भाव नृत्य प्रस्तुति की गई तथा देवासी गुप्ता द्वारा भाव नृत्य की अद्भुत प्रस्तुति करते हुए समारोह के अंत में नाट्य मंचन पंडित श्री दिगंबर नारायण तिवारी उरई द्वारा और उनके कुशल साथी कलाकारों के द्वारा जीवंत प्रस्तुत गंगा मां का अवतरण भगवान नटराज माता पार्वती का सुंदर दर्शन प्रस्तुत हुआ आए हुए सभी साधकों का आभार राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ श्री प्रकाश सिंह ने आभार व्यक्त किया सभी आए हुए प्रतिनिधियों का अभिवादन महामंत्री धनंजय एवं स्थानीय संयोजक प्रेरणा जी ने किया इस अवसर पर प्रमुख रूप से संस्कार भारती परिवार से दीपक कुमार संगठन मंत्री, प्रमोद पाठक जी, रवि शर्मा जी, नीरज कुमार जी, विश्व संवाद केंद्र के वरिष्ठ कार्यकर्ता तथा नगर के वरिष्ठ गणमान्य उपस्थित रहे। मुख्य रूप से कार्यक्रम की व्यवस्था एवं कला साधकों का अभिवादन करने हेतु एमएलसी हंसराज जी सहित गण उपस्थित रहे। हनुमान दास पोद्दार और विद्यालय के नीरज जी सहित सभी समिति पदाधिकारी सहित 255 सदस्य उपस्थित रहे।
उपस्थित प्रमुख कवियों की काव्य रचना
उठो साथियों निज धरम बिक न जाए,
बहनों जगो, निज सरम बिक न जाए,
यही आरजू है मेरी कविगणों से,
कि सबकुछ बिके पर कलम बिक न जाए।
– ओमपाल जी, प्रख्यात कवि
कन्या भ्रूण हत्या पर महोबा के जगप्रसाद ने बुंदेली काव्य रचना पढ़ते हुए कहा “लैहो जनम तुमाये घर में, घर में होय उजियारों, सुन लो मोरी पुकार हो बाबुल, मोखा तुम ना मारो”
लखनऊ की डॉ.कुसुम चौधरी ने कहा “तुमने समझा नहीं प्रीति का व्याकरन, प्रेम सद्भाव का बस करो स्तवन, छल प्रपंचों को मन से मिटा दीजिए, जाह्नवी सा करो स्वच्छ अन्तःकरन”
बहुत बढ़ा आतंक धरा पर, राम तुम्हे अब आना होगा, हुई रक्त रंजित भारत मां, फिर धनु बाण उठाना होगा।
– रमाशंकर गौर, जालौन
गंगा की जल धारा को पावन रहने दो, सरिता को सरिता रहने दो।
– दीनदयाल सोनी
बिन बिटिया के कछु ना जग में समझो ना मजबूरी है, बिटिया बहुत जरूरी है।
- गरिमा पाठक, जालौन