धर्मवाराणसी

आचार्य स्व० पंडित रामा प्रसाद त्रिपाठी की 104वीं जयंती मनाई गई


काशी विद्युत परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व वर्तमान समय में व्याकरण शास्त्र के पाणिनि कहे जाने वाले

– नगर के विद्वतजनों ने आचार्यवर को दी श्रद्धांजलि,
— व्यक्तित्व व कृतित्त्व के साथ विद्वानों ने संस्मरण का किया बखान

वाराणसी। संस्कृत व्याकरण के प्रकांड विद्वान महामहोपाध्याय आचार्य स्वर्गीय पण्डित रामप्रसाद त्रिपाठी की 104 वीं जयंती के उपलक्ष्य में विद्वत सम्मान सभा का आयोजन मंगलवार को दुर्गाकुंड स्थित धर्मसंघ शिक्षा मंडल में आयोजित हुआ। इस अवसर पर उपस्थित विद्वत जनों और विप्रजनों ने आचार्यवर की प्रेरणादायक जीवनी पर प्रकाश डालने के साथ ही उनके व्यक्तित्व, चरित्र व कृतित्व पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण व दीप प्रज्ज्वलन से हुई। इसके बाद आचार्यवर के चित्र पर माल्यार्पण व श्रदांजलि पुष्प अर्पित करके दी गयी।

कार्यक्रम के मुख्यातिथि सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र नाथ पांडेय थे। जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य पद्मभूषण प्रो देवी प्रसाद द्विवेदी थे। वहीं सारश्वत अतिथि श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर न्यास परिषद के पूर्व अध्यक्ष पद्मश्री डॉ हरिहर कृपालु त्रिपाठी रहे।
कार्यक्रम का संचालन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के व्याकरण विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो रामनारायण द्विवेदी ने किया। जबकि स्वागत भाषण प्रो रामेश्वर प्रसाद त्रिपाठी ने दिया।

इस अवसर पर उपस्थित विशिष्ट वक्ताओं ने आचार्य पं रामप्रसाद त्रिपाठी से जुड़े अपने -अपने संस्मरण सुनते हुए उनकी संस्कृत व्याकरण पर विद्वता उनके आकर्षक व्यक्तित्व, सभी पुराणों पर उनकी दक्षता के साथ ही सभी सनातन संस्तुतियों में उनकी गजब की महारथ का एक-एक करके विस्तृत वृत्तान्त सुनाया गया।

वक्ताओं में मुख्य रूप से सर्वश्री प्रो हृदय रंजन शर्मा, प्रो नरेंद्र नाथ पांडेय, प्रो गोपबन्ध मिश्रा, प्रो राममूर्ति चतुर्वेदी, प्रो हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो रामपूजन पांडेय, प्रो रामकिशोर त्रिपाठी, अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित सभा के महामंत्री व काशी तीर्थ पुरोहित सभा के मंत्री व कार्यवाहक अध्यक्ष पं कन्हैया त्रिपाठी, विशालाक्षी मन्दिर के महंत पं राजनाथ तिवारी, शास्त्रार्थ संस्कृत
महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य पं गणेश दत्त शास्त्री, आदि अनेकों विद्वानों ने अपने विचार रखें। धन्यवाद प्रो जयप्रकाश नारायण त्रिपाठी ने ज्ञापित किया।

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