जिनकी निंदा होती है उनकी उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता रहता है निंदा उसी की होती है जो आगे बढ़ता है- प्रदीप मिश्र
महामंडलेश्वर सतुवा बाबा जी के सानिध्य में आयोजित सात दिवसीय शिव महापुराण कथा आज चौथा दिन रहा
चन्दौली । सतुआ बाबा गौशाला डोमरी में महामंडलेश्वर श्री संतोष दास जी सतुवा बाबा जी के सानिध्य में आयोजित सात दिवसीय शिव महापुराण कथा के चौथे दिन पंडित प्रदीप मिश्रा जी (सीहोर वाले) ने शिव महापुराण की कथा को आगे बढ़ते हुए पूज्य गुरुदेव जी द्वारा बताया गया कि जिनकी निंदा होती है उनकी उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता रहता है। निंदा उसी की होती है जो आगे बढ़ता है अगर आपकी कोई निंदा कर रहा है तो समझ लो कि अब आप आगे बढ़ने वाले हो, उन्नति होने वाली है। जिस प्रकार रेल का इंजन आगे चलता है और सभी को साथ लेकर चलता है इतना शोर करता है इतना धुआं देता है जिसके कारण इंजन की हमेशा आलोचना होती है क्योंकि उसे आगे ले चलना होता है तो निंदा तो उसी की होगी परंतु रेल गाड़ी आपको अपने गंतव्य तक पहुंचा ही देती है।
किसी की भी निंदा सुनने की हमें आवश्यकता नहीं है हमें अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने जजमान बनने हेतु भगवान भोलेनाथ के बारे में बताया कि किस प्रकार जजमान बनने के लिए भोलेनाथ माता पार्वती जब शिव महापुराण की कथा सुनने जा रहे थे तो माता पार्वती को सजने संवरने में 16 दिन लग गए जिसको आज 16 सिंगर का नाम दिया गया। और उसे बीच भगवान भोले ने 16 दिन माता पार्वती को सजना का सवारने का अवसर दिया उसे समय को 16 संस्कारों का नाम दिया गया जो।आज भी गणगौर का जो पर्व मनाया जाता है राजस्थान की पावन धरा भारत भूमि पर जो गणगौर का पर्व मनाया जाता है उसमें भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती शिव महापुराण के जजमान बनकर इस कथा को सुने थे। परम पूज्य प्रदीप जी महाराज ने कहा था कि यह कथा हम जजमान बनकर नहीं कर सकते है क्या? यहां जजमान भोलेनाथ ही हैं उन्हीं की कृपा से यह कथा हो रही है। उन्ही की प्रेरणा और आशीर्वाद से यह कथा, जजमान का कार्य होता है इन्हीं चीजों को सुनकर हम लोग परम पूज्य गुरुदेव जी के बातों को सदा जीवन में उतारते हैं वहीं आगे कहा कि भारत भूमि पर कोई मरता है तो वह स्वर्गवासी कहलाता है। कोई व्यक्ति यह सोचता है कि मेरे प्राण छूटे तो विश्वनाथ के धरा पर छुटे। बिंदु की पत्नी चंचला के बारे में बताया कि किस प्रकार बिंदु के मरने के बाद उसकी आत्मा भट थी और उसके मृत्यु पानी में डूब कर हुई थी। इस धरा पर पानी सर्प और स्त्री के हाथ से मरे हुए व्यक्ति को मुक्ति नहीं मिलती उसकी मुक्ति भगवान भोलेनाथ ही देते हैं। इसके लिए कोई व्यक्ति केवल मात्र काशी काशी काशी काशी बोल दे तो उसे अकाल मृत्यु से मुक्ति मिल जाए। ए दिन पूर्व की कथा का वर्णन लेते हुए बताया कि किसी में यदि कोई खोट है तो उसे भी स्वीकार करिए।
चंचला की कहानी को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार चंचला नास्तिक थी और वह शिव भगवान की स्तुति नहीं करती थी। यही नहीं उसने कभी भी शिव को एक लोटा जल नहीं चढ़ाया। जब लोग काशी जा रहे थे तो उसने सोचा कि मेरे पति की अकाल मृत्यु हुई है क्यों ना उनकी भटकती आत्मा के शांति के लिए काशी चले तो चंचला ने लोगों से कहा कि उसे भी काशी चलना है और अपने पति की मुक्ति के लिए भगवान शिव की पूजा करनी है। परंतु उसे कोई नहीं ले जा रहा था तो वह उसे बैलगाड़ी के पीछे पैदल ही चल पड़ी। कहते है भगवान को अपने पास बुलाना होता है तो पहले भगवान अपने भक्त के द्वारा किए हुए पूर्व के पाप को कटवाते हैं। इसी प्रकार भगवान भोले ने चंचला को पैदल चलवाते चलवाते उसके पाप को धो दिया। इस प्रकार शिव महापुराण की कथा का चौथा दिन भगवान शिव मां पार्वती और गणेश जी के झांकी का दर्शन करते हुए आज की कथा का समापन आरती के साथ हुआ। इस बीच मंच पर महामंडलेश्वर श्री संतोष दास सातवा बाबा के साथ आयोजन समिति के संजय केसरी संदीप केसरी नीरज केसरी मनोज गुप्ता बाबू भैया पंकज आत्मा विश्वेश्वर प्रदीप मानसिंहका शहीद कथा में आए हुए जजमान व लाखों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे ।