
सरफराज अहमद.
अजमेर। अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज के 813 वें उर्स की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है। देश दुनिया से अजमेर शरीफ में अकीदतमंद उमड़ेंगे। इस बार उर्स का आगाज़ 31 दिसंबर को संदल की रस्म से होगा। रजब का चांद दिखने के बाद ख़्वाजा गरीब नवाज का सालाना उर्स शुरू होगा। इसके साथ ही 6 दिन के लिए जन्नती दरवाजा खोल दिया जाएगा और उर्स की विधिवत शुरुआत होगी, जबकि अनौपचारिक शुरुआत 28 दिसंबर को बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ने से ही उर्स का ऐलान हो जाता है। इस दिन से दरगाह में जायरीन की आमद शुरू हो जाती है।
उर्स के दौरान दरगाह कमेटी, पुलिस और प्रशासन की ओर से पूरी तैयारी की जा रही है। दरगाह के खादिम कुतुबुद्दीन सखी ने बताया कि ख्वाजा साहब की मजार पर साल भर संदल चढ़ाया जाता है और यह संदल चांद की 28 तारीख को उतारने की परंपरा है। 31 दिसंबर को यह संदल जायरीन में वितरित किया जाएगा। मान्यता है कि इस संदल को पानी में मिलाकर पीने से लाइलाज बीमारियों में राहत मिलती है।
खादिम कुतुबुद्दीन सखी ने बताया कि चांद दिखने के बाद तड़के 4 बजे जन्नती दरवाजा खोला जाएगा। यह दरवाजा साल भर में चार बार खुलता है, लेकिन उर्स में यह छह दिन के लिए खोला जाता है। जन्नती दरवाजा उर्स के दौरान जायरीन के लिए खोला जाता है। इसके अलावा, ईद उल फितर, बकरीद और ख्वाजा साहब के पीर हजरत उस्मान हारूनी के उर्स के मौके पर भी यह दरवाजा खोला जाता है।
उर्स की रस्मों की शुरुआत चांद दिखने पर 1 या 2 जनवरी 2025 से होगी। जन्नती दरवाजा तड़के 4 बजे खुल जाएगा और इसके साथ ही मजार शरीफ को गुस्ल देने और महफिल की रस्में शुरू होंगी। उर्स के आखिरी दिन गरीब नवाज की छठी होगी, और इसके बाद कुल की रस्म के साथ उर्स का समापन होगा और जन्नती दरवाजा बंद कर दिया जाएगा, और फिर 9 रजब को बड़े कुल की रस्म अदा की जाएगी।