धर्म

आज देश दुनिया में मनाया जा रहा इमाम हुसैन की पैदाइश

जगह जगह बांटा जा रहा तबर्रुक

सरफराज अहमद

वाराणसी। आज देश दुनिया में नबी के नवासे हजरत इमाम हुसैन की यौमे पैदाइश का जश्न मनाया जा रहा है। इसी क्रम में रविवार को दिन में 1:00 बजे डर्बीशायर क्लब द्वारा शहीदाने कर्बला हजरत इमाम हुसैन की यौमे पैदाइश (जन्मदिन) बनारस के पितर कुंडा तिराहे पर मनाई गई। इस दौरान उन्होंने लोगों को गुलाब का फूल देकर और मिठाइयां खिलाया।
इस अवसर पर क्लब अध्यक्ष शकील अहमद जादूगर ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन का जन्म उर्दू कैलेंडर के हिसाब से तीन शाबान चार हिजरी (11 जनवरी 626 ई) में अरब की सर जमीन मदीने में हुआ था ।शकील ने कहा कि उनके पिता शेरे खुदा हजरत अली थे और उनकी मां फातिमा जेहरा हज़रत मोहम्मद साहब की बेटी थी। हजरत इमाम हुसैन, हज़रत मोहम्मद साहब के नवासे थे।
इस कार्यक्रम में हाजी असलम हैदर मलाई एडवोकेट, सकलैन हैदर, जावेद हुसैन, अयान हैदर, इरफान पाशा, कौनैन हैदर, फरमान हैदर, शाहिद राजा, हैदर अली, मजहिर हुसैन, गोलू हुसैन, मोहम्मद अख्तर अली, हैदर मोहम्मद अली आदि मौजूद थे।

इंसानियत की शान है हुसैन, शहर में सजी कई महफिलें 

रविवार को शहीद ए करबला इमाम हुसैन की १४४२ वी जयंती पूरी अकीदत और एहतेराम के साथ मनाई गई। इस सिलसिले से कई जगह महफिलें सजाई गई, शायरों ने कलाम पेश किए, उलेमा ने तकरीर की। शिवपुर में अंजुमन panjetani द्वारा, अर्दली बाजार, जामा मस्जिद मीर गुलाम अब्बास में, दोषीपुरा, रसूलपुरा, badi बाजार, कच्चीबाग, पठानीटोला मस्जिद मुजीब, प्रह्लादघाट, पड़ाव, रामनगर जामा मस्जिद हैदरी, शिवाला, बजरडीहा, भेलूपुर, मदनपुरा, दालमंडी, नई सड़क, कालीमहल, लल्लापुरा आदि क्षेत्रों में महफिलें सजाकर इमाम हुसैन की विलादत का जश्न मनाया गया। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर ने बताया कि दरगाहे फातमान में तथा सदर इमामबाड़े में इमाम हुसैन का रौजा सजाया गया। लोगों ने मिठाइयों का तबर्रुक एक दूसरे को बाटा, इस दौरान फल और मेवे भी तकसीम किए गए। कई स्थानों पर हजरत अब्बास की जयंती की पूर्व संध्या पर भी महफिल सजाकर जश्न मनाया गया। इमाम हुसैन का जन्म ३ शाबान सन ४ हिजरी को मदीने में हुआ था और आपकी शहादत १० मुहर्रम सन ६१ हिजरी को कर्बला में हुई थी। सोमवार ३ फरवरी को भी महफिलों का सिलसिला जारी रहेगा।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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