वाराणसी । लक्सा स्थित रामकृष्ण अद्वैत आश्रम में प्रत्येक रविवार शाम 4 बजे से हनुमान चालीसा पर आश्रम महन्त स्वामी विश्वात्मानन्द जी का विस्तृत व्याख्यान होगा। १६वी शताब्दी में अवधी में गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखित साहित्यिक दृष्टि से अद्भुत काव्यात्मक कृति हनुमान चालीसा में श्रीराम के परमभक्त हनुमानजी के गुणों, पराक्रमो और सम्पूर्ण निर्मल चरित्र का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। ऐसा सम्पूर्ण चरित का सुन्दर वर्णन अन्यत्र दुर्लभ है। प्रसिद्धि की दृष्टि से लगभग सभी घरों में प्रत्येक हिन्दू द्वारा इसका नित्य ही पाठ किया जाता किन्तु इसके गूढ़ार्थ से हम सभी अपरिचित हैं। स्वामी विश्वात्मानन्द जी बताते हैं कलगभग सभी हिन्दुओं को यह कण्ठस्थ होती है। सनातन धर्म में हनुमान जी को वीरता, भक्ति और साहस की प्रतिमूर्ति माना जाता है। हनुमान चालीसा के पाठ से भय दूर होता है, क्लेश मिटते हैं , यह प्रशांतक के रूप में सिद्ध होती है। इसके गम्भीर भावों पर विचार करने से मन में श्रेष्ठ ज्ञान के साथ भक्तिभाव जागृत होता है। अतैव भक्तों के आग्रह पर हनुमान चालीसा पर प्रवचन के माध्यम से इसमें सारगर्भित हनुमान जी के सम्पूर्ण चरित का आद्योपांत वर्णन कर इसके गूढ़ार्थ को उद्भासित किया जायेगा।