भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने डॉक्टर पीएम सिंह को यह जिम्मेदारी दी
वाराणसी । भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद, नई दिल्ली ने आईआईवीआर के प्रधान वैज्ञानिक डा. प्रभाकर मोहन सिंह के उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए उन्हे एमेरिटस वैज्ञानिक के रूप में चयनित किया है। कृषि अनुसन्धान सेवा में चयन के उपरान्त क्रमशः वैज्ञानिक, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रधान वैज्ञानिक के पदों पर कार्य करते हुए सेवानिवृत हुए डा. प्रभाकर मोहन सिंह का कार्यकाल एमेरिटस वैज्ञानिक के रूप में अगले तीन वर्षों तक रहेगा।
अपने सेवा काल के दौरान बड़ी संख्या में शोध पत्र, शोध लेख, पुस्तकें, पुस्तकों के अध्याय, तकनीकी बुलेटिन, प्रशिक्षण पुस्तिकाएँ आदि रचने वाले डा. सिंह ने आईआईवीआर में कार्य करते हुए सात वर्षों से अधिक समय तक संस्थान के फसल उन्नयन विभाग का कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में सफल नेतृत्व किया जिसके फलस्वरूप फसल उन्नयन विभाग द्वारा विकसित विभिन्न सब्जियों की 52 किस्में इस दौरान भारत सरकार की केंद्रीय किस्म विमोचन समिति के द्वारा देश के अलग अलग भागों में उगाने हेतु अधिसूचित की गईं। फसल उन्नयन विभाग द्वारा उनके नेतृत्व में सात अति विशिष्ट गुणों वाले जनन द्रव्यों का विकास एवं राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकरण भी किया गया। लगभग तेरह वर्ष सब्जियों पर राष्ट्रीय बीज परियोजना और लगभग दो वर्ष अखिल भारतीय समन्वित सब्जी अनुसन्धान परियोजना के क्रियाकलापों की देखभाल कर चुके डा. प्रभाकर मोहन सिंह का भा.कृ.अनु.प.–भारतीय सब्जी अनुसन्धान संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न तकनीकों के व्यवसायीकरण का कार्य करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा जिसके फलस्वरूप विभिन्न कंपनियों/संस्थाओं के साथ अस्सी से अधिक व्यवसायीकरण मसौदों का क्रियान्वयन किया जा चुका है और संस्थान द्वारा विकसित तकनीकें देश के विभिन्न भागों तक अपने पाँव पसार कर उत्पादकों को लाभान्वित कर रही हैं।
पूरे देश से कुछ चुनिन्दा वैज्ञानिकों को ही एमेरिटस वैज्ञानिक के रूप में चयनित किया जाता है जिसमें भारतीय उद्यान विज्ञान अकादमी एवं भारतीय सब्ज़ी विज्ञान समिति के फेलो की उपाधि से सम्मानित डा. प्रभाकर मोहन सिंह ने इस वर्ष अपना स्थान बनाकर आईआईवीआर के साथ ही साथ काशी का गौरव भी बढ़ाया है।