Jiskelar के सीईओ व अध्यक्ष तथा BHU के पुरातन छात्र जय चौधरी ने दीक्षांत संबोधन में विद्यार्थियों को दिए टिप्स
कहा धन के पीछे न भागें, बल्कि परिवर्तन लाने का लक्ष्य रखें
• विद्यार्थियों का किया आह्वान, बड़े सपने देखें और जीवन के अनुरूप ढलने के लिए तैयार रहें
• 104वें दीक्षांत के तहत 14072 विद्यार्थियों को मिलेंगी उपाधियां
• कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने विद्यार्थियों से कहा, नैतिकता व कृतज्ञता के मूलभूत गुणों को जीवन भर रखें याद
वाराणसी । काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के 104वें दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि तथा क्लाउड सुरक्षा में विश्व की अग्रणी कंपनी ज़िस्केलर के सीईओ तथा अध्यक्ष जय चौधरी ने अपने दीक्षांत संबोधन में विद्यार्थियों के साथ सफलता के मंत्र साझा किये। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी “धन के पीछे न भागें, बल्कि परिवर्तन लाने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ें। विश्वविद्यालय के ख्यातिलब्ध पुराछात्र श्री चौधरी ने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण लेकर कार्य करें और अपनी रुचि के क्षेत्र को ढूंढ कर आगे बढ़े और सीखने के लिए सदैव तत्पर रहें।
एक साधारण परिवार के विद्यार्थी से लेकर वैश्विक प्रौद्योगिकी हस्ती बनने के अपने सफर को साझा करते हुए, ज़िस्केलर के संस्थापक ने कठिनाइयों में अवसर ढूंढने के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने बताया कि किस तरह एक सामान्य किसान परिवार से आने वाले उनके माता पिता ने यह सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष किया कि उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले। उन्होंने कहा, “कठिनाइयां गज़ब की होती हैं। ये आपको अपनी राह खोजना सिखाती हैं। ये आपको बताती हैं कि क्या करना है और कैसे करना है?” अपने बचपन में आई कठिनाइयों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि इससे उन्हे काफी कुछ सीखने को मिला। उन्होंने कहा, “हमें हमेशा अवसर मिलते हैं। अगर आप कड़ी मेहनत करेंगे और अच्छी चीज़ें करेंगे तो आपके साथ भी अच्छा होगा। ऐसा भले ही हमेशा न हो, लेकिन मेहनत करने वालों के साथ दस में से 9 बार अच्छा ही होता है।”
जय चौधरी ने विद्य़ार्थियों को सलाह दी कि करियर में आगे बढ़ते हुए वे सीखने के लिए सदैव तत्पर रहें तथा जीवन के अनुरूप स्वयं को ढालने के लिए तैयार रखें। उन्होंने कहा कि समर्पण, जोखिम लेने की क्षमता, तथा चुनौतियों ने न घबराने से सफलता प्राप्त होती है। उन्होंने कहा, “जीवन सीधे सरल ढंग से नहीं चलता। इसमें अनेक उतार चढ़ाव आते हैं। ऐसे में अपनी कमज़ोरियों को पहचानना और खुद को बेहतर बनाना बहुत महत्वपूर्ण है।”
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अपने विद्यार्थी जीवन की यादों को साझा करते हुए जय चौधरी ने कहा कि विश्वविद्यालय का सुन्दर परिसर, घाट, या फिर लंका पर घूमने जाना, उनकी सुनहरी यादों में से हैं। अपने जीवन की सफलता का श्रेय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को देते हुए उन्होंने विद्यार्थियों को मेहनत करते हुए, ईमानदारी के साथ, लक्ष्य पर केन्द्रित होकर और सकारात्मक रवइय्ये के साथ उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित किया।
मुख्य अतिथि ने कहा कि दीक्षांत कार्यक्रम विद्यार्थियों के जीवन में एक नई शुरुआत लाता है। ये विद्यार्थियों पर है कि वे किस तरफ रुख करना चाहते हैं। भारत में हाल के दशकों में हुई तरक्की का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रगति को आगे ले जाने की ज़िम्मेदारी विद्यार्थियों पर है। उन्होंने कहा, “जीवन में अनेक उतार चढ़ाव आएंगे, लेकिन अनगिनत अवसर भी मिलेंगे। आप में से जो उन अवसरों का लाभ उठा पाएंगे, वे काफी आगे जाएंगे।” दीक्षांत समारोह में पदक पाने वालों में छात्राओं की बड़ी संख्या पर खुशी ज़ाहिर करते हुए जय चौधरी ने कहा कि भारत को महिला शक्ति व क्षमता का भरपूर इस्तेमाल करना होगा।
कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय की प्रगति और विकास की दिशा में किए गए महत्वपूर्ण प्रयासों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे विश्वविद्यालय ने प्रतिभाओं को आकर्षित और प्रोत्साहित करने, संसाधनों के प्रभावी उपयोग और स्वस्थ व असरदार कार्य संस्कृति एवं सुशासन को मजबूत करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास, संकाय सदस्यों को सशक्त बनाने, बुनियादी ढांचे के विकास और शिक्षा एवं अनुसंधान में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई पहलों का जिक्र किया। कुलपति जी ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय ने अपने पुरा छात्रों के साथ जुड़ाव को मजबूत किया है और अब विश्वविद्यालय के पास तकरीबन 62,000 पुराछात्रों का डेटाबेस उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि बीएचयू ने संसाधन जुटाने और इनके सदुपयोग में सराहनीय कार्य किया है, जिसके परिणामस्वरूप शैक्षणिक, अनुसंधान और विद्यार्थी गतिविधियों के लिए संस्थान को अधिक वित्तीय आवंटन हो रहा है। कुलपति जी ने बताया कि विश्वविद्यालय ने उन पहलों को इंस्टीट्यूट ऑफ़ एमिनेंस (IoE) की अवधि के बाद भी आंतरिक संसाधनों के माध्यम से जारी रखने का निर्णय लिया है, जो अकादमिक और अनुसंधान की दिशा से काफी लाभकारी साबित हो रही हैं। इससे विश्वविद्यालय की दीर्घकालिक लक्ष्यों के अनुरूप प्रगति हो सकेगी।
प्रो. जैन ने कहा कि विश्वविद्यालय परिवार दीक्षांत में उपाधि प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों की शैक्षणिक सफलता, व्यक्तिगत विकास और उनके नए सफर की शुरुआत का उत्साहपूर्वक जश्न मना रहा है। उन्होंने कहा कि “आप जिस दुनिया में कदम रख रहे हैं, वह अपार अवसरों से भरी है, लेकिन इसमें अभूतपूर्व जटिलताएं भी हैं। आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए न केवल तकनीकी में दक्षता की आवश्यकता होगी, बल्कि नैतिकता, सहयोग और जीवन भर सीखने की प्रतिबद्धता भी चाहिए।”
उन्होंने विद्यार्थियों को उनके जीवन में दो मूलभूत गुणों – मूल्यों और कृतज्ञता – को हमेशा ध्यान में रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “हमेशा याद रखें कि मूल्य और नैतिकता आपके व्यक्तिगत और पेशेवर विकास में सबसे बड़े साथी होंगे; और कभी भी कृतज्ञता व्यक्त करना न भूलें – न सिर्फ अपने शिक्षकों और परिवार के प्रति, बल्कि समाज के प्रति भी। यही कृतज्ञता आपको समाज को कुछ वापस देने के लिए भी प्रेरित करेगी।”
कुलपति जी ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के दिवंगत कुलाधिपति को याद करते हुए कहा कि उन्होंने सदैव विश्वविद्यालय के सदस्यों को प्रोत्साहित किया व मार्गदर्शन उपलब्ध कराया। प्रो. जैन ने कहा कि न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय हमारे मध्य उपस्थित नहीं है, लेकिन उनके सिद्धांत हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।
स्वतंत्रता भवन में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में मंच से 30 विद्यार्थियों को 34 पदक प्रदान किये गए। (सूची संलग्न) इनमें चांसलर पदक, महाराजा विभूति नारायण सिंह स्वर्ण पदक, तथा बीएचयू पदक शामिल थे। 104वें दीक्षांत समारोह के अंतर्गत विभिन्न संस्थानों व संकायों द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में विभिन्न स्थलों पर आयोजित हो रहे कार्यक्रमों में 14072 उपाधियां प्रदान की जा रही हैं। इनमें 867 पीएचडी, 21 एम.फिल., 5074 स्नातकोत्तर, तथा 8110 स्नातक उपाधियां शामिल हैं। इसके अतिरिक्त संस्थानों व संकायों में 544 पदक भी प्रदान किये जा रहे हैं।
उपाधि प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को कुलपति जी द्वारा कर्तव्यपरायणता की शपथ दिलाई गई। कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह ने विद्यार्थियों को पदक ग्रहण करने हेतु मंच पर आमंत्रित किया। कुलगुरू प्रो. संजय कुमार ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. पद्मिनी रविन्द्रनाथ ने किया। समारोह के आरंभ में प्रो, पतंजलि मिश्र ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह ने धन्यवाद भाषण प्रेषित किया।