एजुकेशनवाराणसी

BHU: राष्ट्रीय चित्रकला कार्यशाला में छात्रों ने बनारस के आध्यात्मिकता के पेपर तथा कैनवास पर उतारा

वाराणसी । काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चित्रकला विभाग, दृश्य कला संकाय में दिनांक 6 फरवरी से 11 फरवरी, 2025 तक सफलतापूर्वक आयोजित की जा रही है । जिसमें चित्रकला विभाग के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया तथा इस राष्ट्रीय चित्रकला कार्यशाला के पाँचवें दिन छात्रों की रचनात्मक ऊर्जा और कलात्मक प्रतिभा का जोश देखने को मिला। यह कार्यशाला बनारस की सांस्कृतिक धरोहर और घाटों की आध्यात्मिक सुंदरता को कला के माध्यम से पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से आयोजित की गई है। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य छात्रों को बनारस घाट की सुंदरता और आध्यात्मिकता के विषय पर अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करना था।

कार्यशाला के दौरान, छात्रों ने अहिवासी कला वीथिका में अपने हुनर का प्रदर्शन किया तथा “बनारस घाट: इट्स ब्यूटी एंड स्पिरिचुअलिटी” थीम पर आधारित कई आकर्षक चित्रों का निर्माण किया। इन चित्रों में छात्रों ने बनारस की सांस्कृतिक विरासत, घाटों की मनोरम छटा और आध्यात्मिक वातावरण को बखूबी उकेरा। इस राष्ट्रीय चित्रकला कार्यशाला में शामिल छात्र-छात्राएँ, “बनारस घाट: इट्स ब्यूटी एंड स्पिरिचुअलिटी” थीम पर अपनी कल्पनाओं को रंगों और रेखाओं में ढाल रहे हैं। अहिवासी कला वीथिका में प्रदर्शित इन चित्रों में दशाश्वमेध घाट, मणिकर्णिका घाट, और गंगा आरती जैसे प्रतीकों के माध्यम से बनारस की अद्वितीय पहचान को उकेरा गया है। छात्रों ने जल रंग, तैल रंग, और मिश्रित माध्यमों का उपयोग करके अपनी कृतियों में शहर की सांस्कृतिक गरिमा और आध्यात्मिक गहराई को दर्शाया है।

इस अवसर पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंता महोदया, वरिष्ठ प्रो. सुषमा घिल्डयाल, ने कार्यशाला का अवलोकन किया किया और छात्रों के कार्यों की सराहना करते हुए उनका उत्साहवर्धन किया। उन्होंने छात्रों की कलात्मक प्रतिभा और मेहनत की प्रशंसा की तथा इस तरह के आयोजनों को शैक्षणिक और कलात्मक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उनकी प्रशंसा करते हुए कहा, “यह देखकर गर्व होता है कि हमारे युवा कलाकार न केवल बनारस की विरासत को समझ रहे हैं, बल्कि इसे समकालीन कला के साथ जोड़कर नए आयाम दे रहे हैं। ऐसे आयोजन शैक्षणिक उत्कृष्टता और राष्ट्रीय एकता को मजबूती प्रदान करते हैं।” महिला महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर रीता सिंह ने छात्रों द्वारा बनारस घाट के ऊपर किए गए कार्यों को प्रयागराज महाकुंभ से जोड़ते हुए इसके आध्यात्मिकता तथा इसके महत्व के बारे में छात्रों को बताया । वहीं सामाजिक विज्ञान की संकाय प्रमुख, प्रो. वृंदा परांजपे ने छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय कार्यशाला में किए जा रहे कार्यों को बारीकी से अवलोकन किया तथा उनकी प्रशंसा की । उन्होंने छात्रों द्वारा जल रंग, तैल रंग, और अन्य मिश्रित माध्यमों का उपयोग करके बनाई जा रही अपनी कृतियों में शहर एवं बनारस के घाटों सांस्कृतिक गरिमा और आध्यात्मिक गहराई को सराहा ।
इस अवसर पर डॉक्टर शिखा मिश्रा, सहायक आचार्य, कला संकाय, चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर सुनील चौधरी तथा प्रोफेसर ललित मोहन अग्रवाल ने भी कार्यशाला में उपस्थित होकर छात्रों के कार्यों का निरीक्षण किया तथा उनकी कला की समीक्षा भी की ।
दृश्य कला संकाय की संकाय प्रमुख एवं कार्यशाला की संयोजक प्रो. उत्तमा दीक्षित जी ने इस राष्ट्रीय कार्यशाला के बारे में विस्तृत रूप से छात्रों के साथ चर्चा की तथा छात्रों के साथ विशेष संवाद में कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डाला । उन्होंने बताया कि इस तरह के आयोजन छात्रों के शैक्षणिक विकास के साथ-साथ उनके कौशल विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने छात्रों को भविष्य में भी इसी तरह की रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, “यह कार्यशाला छात्रों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने का मंच प्रदान करती है। यहाँ उन्हें न केवल तकनीकी कौशल मिलता है, बल्कि सांस्कृतिक संवेदनशीलता और टीमवर्क जैसे गुण भी विकसित होते हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि चयनित कलाकृतियों को आगामी होने वाले प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जाएगा।
इस कार्यशाला के माध्यम से छात्रों ने न केवल अपनी कलात्मक क्षमताओं को निखारा, बल्कि बनारस की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को गहराई से समझने का अवसर भी प्राप्त किया। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चित्रकला विभाग ने इस तरह के आयोजनों को नियमित रूप से जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button