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केवल बनारस में पढ़ी जाती अगहनी जुमे की नमाज 

29 को मुर्री बंद कर नमाज अदा करेंगे बुनकर

वाराणसी। बुनकर बिरादराना तंजीम की ओर से मुल्क की खुशहाली, कारोबार में बरकत और अमन- चैन दुआ के लिए ऐतिहासिक अगहनी जुमे की नमाज 29 नवम्बर, शुक्रवार को अलग अलग इबादतगाहों में पढ़ी जाएगी। इस मौके पर बुनकरों द्वारा जुमे को मुर्री बंद रखी जायेगी। अगहनी जुमे की मुख्य नमाज पारम्पारिक रूप से लगभग 450 सालों से पुराना पुल, पुल कोहना स्थित ईदगाह और चौकाघाट में अदा की जाती है। इस मौके पर बुनकर बिरादराना तंजीम बावनी पंचायत के सदर हाजी मुख्तार महतो की तरफ से मुर्री बंद का ऐलान किया गया है। अगहनी जुमे की नमाज पढ़ने के लिए शहर भर के बुनकर बिरादराना तंजीम के लोग ईदगाह में जुटते है और इशतेमाई दुआख्वानी करते है।

450 सालों से चली आ रही है रवायत

बनारस के बुनकरों द्वारा अगहनी जुमे पर नमाज और मुर्री बंद की यह रवायत लगभग साढ़े चार सौ साल पुरानी है। इस बाबत बुनकर बिरादराना तंजीम बावनी के सदर हाजी मुख्तार महतो ने बताया कि यह नमाज सिर्फ बनारस में ही पढ़ी जाती है। लगभग साढ़े चार सौ साल पहले देश मे भयंकर अकाल पड़ा था, बारिश ना होने से हाहाकार मचा हुआ था, जिसकी वजह से बेहाल किसान खेती नही कर पा रहे थे। खेती ना होने के कारण बाजार में जबरदस्त मंदी आ गयी और उसकी चपेट में बुनकर भी आ गए। ना किसान खेती कर पा रहा था और ना ही बुनकरों के कपड़े बिक रहे थे। हर ओर भुखमरी का आलम छा गया। बुनकरों ने इस हालात को ठीक करने के लिए अल्लाह ताला से दुआ मांगने के लिए अगहन महीने के जुमे के दिन ईदगाह में इकट्ठे हुए नमाज अदा की और बारिश के लिए दुआएं मांगी। अल्लाह के रहमो करम से खूब बारिश हुई, किसानों और बुनकरों दोनों के कारोबार चलने लगे तो मुल्क में फिर से खुशहाली छा गई। तब से यह परम्परा हर साल अगहन के जुमे के दिन बनारस के बुनकर बिरादरी की तरफ से मुर्री बंद कर निभाई जाती है। नमाज के दौरान किसान अपनी नई फसल का गन्ना बेचने यहां पहुंचते हैं।

 

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