धर्म

कल मुकम्मल होगा रमज़ान का पहला अशरा

मस्जिद 'दाल' कच्चीबाग में तरावीह मुकम्मल, इमामे तरावीह का इस्तकबाल 

एफ फारुकी बाबू

वाराणसी। मस्जिद ‘दाल’ कच्चीबाग में तरावीह मुकम्मल हो गई। इस दौरान जहां इमामे तरावीह का नमाजियों ने जोरदार इस्तकबाल किया वहीं उनकी गुलपोशी भी की गई। कल मंगलवार को रमज़ान का पहला अशरा रहमत का मुकम्मल हो जाएगा। हाफिज ताहिर (इमामे जुमा मस्जिद हज़रत याकूब शहीद) ने बताया कि मस्जिद याकूब शहीद समेत कई जगहों पर दस रमज़ान को तरा़वीह मुकम्मल होगी।

दरअसल मुक़द्दस रमजान महीने को तीन अशरे (10-10 दिन के तीन) में बांटा गया है। पहला अशरा रहमत का कल शाम में मुकम्मल हो जाएगा और दूसरा अशरा मगफिरत का शुरू होगा। आखिर में दस दिन का अशरा जहन्नम से आजादी का है।

रहमत का अशरा शुरू होने के साथ मस्जिदों में तरावीह मुकम्मल होने का सिलसिला भी तेज़ हो जाता है। इस दौरान मस्जिद दाल कच्ची बाग में हाफिज़ इरशाद अहमद ने तरावीह मुकम्मल करायी। तरावीह के बाद लोगों में इमामे तरावीह से मुसाफा करने की होड़ सी मच गई। इस दौरान सैकड़ों लोगो ने तरावीह की नमाज अदा की। उधर ककरमत्ता उत्तरी में जिरगम अंसारी की अगुवाई में हाफ़िज़ अब्दुल हमीद ने तरावीह मुकम्मल करायी। तरावीह के साथ ही वहां शबीना भी पढ़ा गया।आरिफ अंसारी, हफीज़ अहमद अंसारी, हाफिज अलीमुद्दीन,मुनीश व इरफान अहमद आदि शामिल थे।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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