धर्म

शब-ए-बरात कल, होगी बेहिसाब इबादत

तैयारियों में जुटे मोमिनीन, हुई खरीदारी

सरफराज अहमद
वाराणसी। शब-ए-बरात गुरुवार को मनाई जाएगी। शाबान की 15 वीं रात को इबादत करने की बहुत अहमियत है इसके चलते इस रात के इस्तकबाल की तैयारियां तेज हो गई हैं। मस्जिदों और घरों को सजाया जा रहा है। ऐसी इस्लामिक मान्यता है कि शाबान की 14 तारीख को दिन गुजार कर जो रात आती है उस रात घरों में दुनिया से रब के पास जा चुके लोगों की रुह (आत्मा) लौटती है। इसलिए घरों, मुहल्लों, मस्जिदों व कब्रिस्तान में साफ-सफाई के साथ ही रौशनी की व्यवस्था की जा जाती है। घरों में शब-ए- बरात पर हलुआ तैयार किया जाता है जिसकी मगरिब की अज़ान के बाद फातेहा करायी जाती है।
आज सुबह से ही हलुवे के लिए जगह-जगह दाल, सूजी और मेवा आदि की खरीदारी शुरू हो गई। कोयला बाजार, चौहट्टा लाल खां, जलालीपुरा, सरैया, नक्खीघाट, बड़ी बाजार, हुकुलगंज, मकबूल आलम रोड, नूरी कालोनी, अर्दली बाजार, नदेसर, लल्लापुरा, पितरकुंडा, दालमंडी, नयी सड़क, फाटक शेख़ सलीम, मदनपुरा, रेवड़ीतालाब, गौरीगंज, शिवाला, बजरडीहा, ककरमत्ता, मंडुवाडीह, लोहता सहित अन्य मुस्लिम इलाके में लोग तैयारी में जुटे हुए हैं। मस्जिदों में रात की इबादत की तैयारियां की जा रही है।
माहे शाबान की फजीलत दरगाह हज़रत शाह तैय्यब बनारसी के मौलाना इरशाद रब्बानी बताते हैं कि शाबान महीने और इस महीने कि 15 वीं रात के क्या कहने। रमजान अगर अल्लाह का महीना है तो शाबान मोहम्मद रसूल अल्लाह का महीना है। शाबान की 15 वीं शब बंदों के आमाल अल्लाह रब्बुल इज्जत की बारगाह में पेश किए जाते हैं। कौन दुनिया से रुखसत होने वाला है? किसकी जिंदगी में क्या होगा? वगैरह इसी रात लिखे जाते हैं। मुगलिया मस्जिद बादशाह बाग के इमामे जुमा मौलाना हसीन अहमद हबीबी कहते हैं कि यूं तो हिजरी कैलेंडर का शाबान आठवां महीना है मगर रुहानी साल का आगाज़ इसी रात से होता है। इस रात की इबादत का यह सिला है कि हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने रब से कहा कि मुझे या रब तू हुजूर मोहम्मद मुस्तफा (स.) की उम्मत में पैदा फ़रमा ताकि मैं इस रात इबादत कर सकूं। अल्लाह हो अकबर। इस रात की फजिलत इतनी और हम इसे बेहुदा कामों में जाया कर देते हैं।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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