धर्मसाक्षात्कार

राष्ट्रवादी सनातन संस्कृति के लिए संकल्पित व्यक्तित्व है गौतम अडानी 

संस्कृति पुरुष आचार्य संजय तिवारी से विशेष बातचीत

अशोक कुमार मिश्र

प्रयागराज के कुंभ 2025 में अद्भुत दृश्य है। यह कुंभ वास्तव में सशक्त भारत का ब्रांड जैसा दिख रहा है। विश्व इस ओर आकर्षित है। ऐसे में कुंभ में पवित्र त्रिवेणी के तट पर हमारी भेंट एक ऐसे व्यक्तित्व से हो गई जिन्होंने अपना जीवन ही सनातन संस्कृति, परंपरा और अध्यात्म को समर्पित कर दिया है। यद्यपि वह गृहस्थ हैं किंतु उनके विशिष्ट कार्यों और उपलब्धियों ने उन्हें आचार्यत्व प्रदान कर संस्कृति पुरुष ही बना दिया है। भारत संस्कृति न्यास के अध्यक्ष, मासिक पत्रिका संस्कृति पर्व और त्रैमासिक पत्रिका सनातन विश्व के वह संस्थापक संपादक हैं। अद्भुत प्रतिभा और लेखन के साथ साथ प्रखर वक्ता के रूप में संस्कृति पुरुष आचार्य संजय तिवारी से विविध आयामों पर विशेष और लम्बी बात करने का अवसर मिला। प्रस्तुत है उसी बातचीत के प्रमुख अंश:

प्रश्न : आपको यह कुंभ कैसा लग रहा है? किस मायने में यह अन्य कुंभ आयोजनों से अलग है?

उत्तर :.जहां तक मुझे याद है, मैं पहली बार 1977 में प्रयाग महाकुंभ में आया था। उस समय पूज्य देवरहवा बाबा सहित अनेक संतों के दर्शन हुए थे। तब देश बहुत पीछे था। इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं थी। सब कुछ विशुद्ध आकाश तले मां गंगा और यमुना के तट पर हो रहा था। आज स्थिति अलग है। भारत की उन्नति यहां दृष्टिगोचर हो रही। यह आयोजन अत्यंत हाईटेक और पूर्ण व्यवस्थित है।

प्रश्न :इस कुंभ से क्या संदेश मिलने की उम्मीद की जा सकती है।

उत्तर : देखिए, इस समय दुनिया में अनेक देश युद्ध में हैं। लाखों लोगों की हत्याएं हो रही हैं। इजरायल, हमास, रूस, यूक्रेन, सीरिया, फिलिस्तीन, इराक, ईरान आदि के अलावा अपने पड़ोस में भी आग लगी है। म्यांमार और बांग्लादेश सामने है। श्रीलंका को हाल में सभी ने जलते हुए देखा है। ऐसे परिवेश में करोड़ों सनातनी कुंभ में उपस्थित होकर यदि प्राणियों में सद्भावना, विश्व के कल्याण और अधर्म के नाश का उदघोष कर रहे हैं तो इसे दुनिया देख भी रही है और आशा भी लगाए है।

प्रश्न : भारत की सत्ता शक्ति और कुंभ का अंतर्संबंध भी लोग जानना चाह रहे हैं। आप इसे कैसे देखते हैं?

उत्तर : देखिए, मैं इस मामले में बहुत स्पष्ट हूं। मैं देख रहा हूँ कि रज, तम और सत के त्रिगुण से बनी सृष्टि में गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र त्रिवेणी से कुंभ विश्व कल्याण का उदघोष कर रहा है। इसमें भारत की सत्ता शक्ति के भी तीन तत्व हैं। युग चक्रवर्ती प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अभिभावकत्व में लौह पुरुष गृह मंत्री अमित शाह की गंभीर शैली और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सात्विक संयोजन और प्रबंधन के त्रिगुण से यह आयोजन विश्व के लिए अद्भुत बन रहा है। यह है हमारे शासन की वास्तविक शैली और सनातन चिंतन की शक्ति।

प्रश्न : इस कुंभ में अनेक उद्योग समूह और व्यावसायिक घराने भी कुछ कर रहे हैं। खास तौर पर अड़ानी समूह चर्चा में है। आप इसे किस रूप में देख रहे?

उत्तर : देखिए, हमेशा से राजा और व्यवसाय जगत के लोग सनातन संस्कृति के संरक्षण और उसको सुगम बनाने के प्रयास करते रहे हैं। सम्राट हर्षवर्धन ने तो अपना सर्वस्व ही कुंभ में दान कर दिया था। इसलिए यदि भारत के उद्योग जगत से लोग भागीदारी कर रहे तो यह शुभ है। जहां तक गौतम अड़ानी जी का प्रश्न है, मैं व्यक्तिगत अनुभव से कह सकता हूं कि वह और उनका परिवार सनातन हिंदुत्व और सात्विक संस्कारों वाला है। गौतम जी स्वयं कहते हैं कि उनके पास जो है वह ईश्वर का ही दिया हुआ है। इस बार कुंभ में उन्होंने एक करोड़ परिवारों को गीताप्रेस से प्रकाशित आरती संग्रह को पहुंचाने का संकल्प लिया है। इस्कॉन के माध्यम से वह प्रतिदिन कुंभ में एक लाख लोगों के भोजन प्रसाद की व्यवस्था कर चुके हैं। ऐसा और भी लोग अवश्य कर रहे हैं जिससे सनातन के प्रति अपने व्यवसाय जगत की आस्था प्रकट हो रही है। सभी को करना भी चाहिए।

प्रश्न :!आप और आपकी संस्था इस कुंभ के लिए क्या कर रही है?

उत्तर : इस कुंभ पर केंद्रित संस्कृति पर्व के विशेषांक की सवा लाख प्रतियां वसंत पंचमी से हम वितरित करने की तैयारी में हैं। इसके साथ ही सनातन विश्व का विशेषांक भी आ रहा है। दोनो पत्रिकाओं में कुंभ से संबंधित बहुत ही प्रामाणिक और गंभीर जानकारी दी जा रही है।

प्रश्न :आधुनिक भारत में संत समाज की क्या स्थिति है?

उत्तर :बहुत अच्छी है। अखिल भारतीय संत समिति के माध्यम से इसके राष्ट्रीय महामंत्री दंडीस्वामी जीतींद्रानंद जी सरस्वती, अध्यक्ष स्वामी अविचल दास जी, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविन्द्र पुरी जी  (महानिर्वाणी) जैसे पूज्य संतों का प्रयास दिख रहा है। सनातन के लिए स्वामी जीतेन्द्रानंद जी तो युग क्रांतिनायक बन कर उभरे हैं। उन्होंने पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक संत समाज को जोड़ने और समाज को दिशा देने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इसके अलावा गंगा महासभा और श्री काशी विद्वदपरिषद जैसी संस्थाओं के माध्यम से भी बहुत कुछ किया जा रहा है।

प्रश्न :अंत में आप कुंभ पर क्या कहना चाहेंगे?

उत्तर : प्रयाग राज का महाकुंभ विश्व को यह संदेश दे रहा है कि युद्ध से नहीं, सनातन बुद्ध से ही कल्याण का मार्ग निकलेगा।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक यात्राओं के संकल्पों और भारत के  विश्वगुरु के रूप में स्थापना का यह समय है। सब कुछ सनातन शक्ति से ही होगा।

Ashok Mishra

Chief editor मैंने पॉलिटिकल साइंस व पत्रकारिता के परास्नातक (मास्टर डिग्री) करने के बाद 1996 में लखनऊ दैनिक जागरण से पत्रकारिता की शुरुआत की। उसके बाद जनसत्ता एक्सप्रेस, लोकमत समाचार व स्वदेश जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्र में काम करने का मौका मिला। प्रिंट मीडिया में ब्यूरो प्रमुख व संपादक का दायित्व निभाने के बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडया में प्राइम न्यूज़ में ब्यूरो प्रमुख व नेशनल वॉइस चैनल में संपादक के दायित्व का निर्वहन किया। करीब 25 वर्ष से उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय से मान्यता प्राप्त पत्रकार है। गत चार वर्ष से दैनिक एक संदेश व यूनाइटेड भारत में समूह संपादक की जिम्मेदारी है।

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