एजुकेशन

वसंत कन्या महाविद्यालय में गायन-वादन की रही धूम

व्यावसायिक-योजना में भी छात्राओं ने बढ़-चढ़ कर लिया हिस्सा

वाराणसी। वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा, वाराणसी में सप्ताह व्यापी सांस्कृतिक एवं अकादमिक मंच ‘सर्जना’ में चौथे दिन 3 प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें शास्त्रीय-उपशास्त्रीय गायन, वादन तथा व्यावसायिक-योजना में छात्राओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। एक तरफ शास्त्रीय गायन में जयंतिका, वैदेही और कोमोलिका ने सभी को अपने गायन से मंत्र मुग्ध किया तो दूसरी ओर सुगम संगीत में अर्पिता जायसवाल और शुभांगी पाठक की ताल पे सभी झूमते नज़र आए। वादन में सितार से प्रियांशी सिंह और जानसी सिंह ने सबका मन मोह लिया। इस आयोजन में लगभग 150 छात्राओं ने प्रतिभागिता की। प्रो.सीमा एवं डॉ. सुमन सिंह के निर्देशन में चल रहे इस सांस्कृतिक उत्सव में डॉ. कमला पांडेय ने प्रतिभागियों को आशीर्वाद देते हुए सर्जना की सृजन स्मृति को सांझा किया, एवं प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रतिभागियों को उत्साहित किया। निर्णायक मंडल के रूप में स्वर लहरियों का विश्लेषण अग्रसेन कन्या पी.जी. कॉलेज से डॉ. नीता दिशावाल एवं धीरेन्द्र महिला पी. जी .कॉलेज से डॉ. रुचि मिश्रा तथा विनीता गुजराती के साथ आर्य महिला पी. जी. कॉलेज से डॉ. जया रॉय ने किया।व्यावसायिक योजना प्रतियोगिता डॉ. शशिकेश कुमार गोंड, डॉ. आरती कुमारी के संयोजकत्व में संपन्न हुआ। जिसमें प्रो. इंदु उपाध्याय और डॉ. विजय कुमार निर्णायक रहे। दूसरी ओर सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी का दूसरा एवं अंतिम चरण सम्पन्न हुआ। इस आयोजन में सौम्यकांत मुखर्जी, अमित ईश्वर, डॉ. पूर्णिमा सिंह के साथ महाविद्यालय के सभी टीचर्स उपस्थित थे।

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मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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