कहीं मस्जिद कहीं शिवाला है, फिर भी होता नहीं उजाला…

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कवि सम्मेलन
गाजीपुर। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इण्टरमीडिएट कॉलेज खालिसपुर के सभागार में कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया।
जिसके मुख्य अतिथि जनपद न्यायालय, गाजीपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री निशीथ सिंह रहे। कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ नवगीतकार कुमार शैलेन्द्र ने की और संचालन सुपरिचित नवगीतकार डॉ.अक्षय पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ माॅं वागेश्वरी,विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती के पूजन-अर्चन, दीप-प्रज्वलन से हुआ। महाकवि कामेश्वर द्विवेदी की सरस्वती वंदना के उपरान्त विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री शिवजी सिंह ने आगंतुकों का वाचिक स्वागत किया।तत्क्रम में विद्यालय की प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष श्री राजनारायण पाण्डेय , विद्यालय के प्रबन्धक श्री सतीश कुमार सिंह एवं समिति के सम्मानित सदस्य गण ने मंचस्थ कविगण का माल्य,अंगवस्त्रम् एवं सम्मान-पत्र के द्वारा स्वागत किया।
अगले क्रम में जनपद के सुदूरवर्ती क्षेत्रों से पधारे कवियों ने इस कवि-सम्मेलन में श्रोताओं को काव्य-रस से आप्लावित किया। नगर के युवा ग़ज़ल-गो गोपाल गौरव ने “कहीं मस्जिद कहीं शिवाला है/फिर भी होता नहीं उजाला है/खोट साकी में है नहीं गौरव/
तेरे हाथों में उलटा प्याला है” सुनाकर प्रबल करतल ध्वनि के रूप में श्रोताओं की अतीव प्रशंसा अर्जित की। ‘साहित्य चेतना समाज’ के संस्थापक एवं वरिष्ठ व्यंग्य-कवि अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ ने अपनी कविता “कुछ ठान लिया मन में जिसने/निज लक्ष्य स्वयं पहचान लिया/वह किया असंभव को संभव/ जग उसका लोहा मान लिया” प्रस्तुत कर ख़ूब वाहवाही पायी। नगर के महाकाव्यकार कामेश्वर द्विवेदी ने अपनी छान्दस कविता “जनता के कुछ प्रतिनिधि हैं विवेकहीन/मूर्खता से उनके तो देश डूब जायेगा/सदन में धक्का-मुक्की मार-पीट बेहयाई/शान्तिप्रिय देश कुरुक्षेत्र बन जायेगा” सुनाकर कर ख़ूब तालियाॅं बटोरी। इसी क्रम में हिन्दी एवं भोजपुरी के वरिष्ठ गीतकार हरिशंकर पाण्डेय ने अपना भोजपुरी गीत “आवते पतोहिया चली गईली विदेशवा/बूढ़ा-बूढी झनखत बाड़ें बईठ के दुअरिया”प्रस्तुत कर अतिशय वाहवाही अर्जित की।ओज के वरिष्ठ कवि दिनेश चन्द्र शर्मा ने अपनी कविता “बेड़ियों का जटिल बंधन/ जब भी उन्हें पुकारेगा/भारत माॅं तुम्हारा वह संतान/अपना सुभाष निश्चित ही आ जाएगा” सुना कर पूरे सभागार को ओजत्व प्रदान किया। नगर के वरिष्ठ हास्य-व्यंग्यकार विजय कुमार मधुरेश ने “बिस्मिल भगत सिंह का अब वो बलिदान कहाॅं है/गांधी जैसा कोई अब इंसान कहाॅं है/बेईमान हो गए मेरे वतन के रहनुमा/शहीदों के सपनों का हिन्दुस्तान कहाॅं है” सुनाकर ख़ूब वाहवाही लूटी। इसी क्रम में कवि सम्मेलन का सफल संचालन कर रहे डाॅ.अक्षय पाण्डेय ने अपना नवगीत “हाथ में लेकर बदलते भाव सा मुखड़ा/बन गया है आदमी बाजार का टुकड़ा/एक पल तू प्रीत जैसा मन बना ले/सूर मीरा नन्द गा ले/वैर की ऊॅंचाइयाॅं घट जाऍंगी” प्रस्तुत किया जिसपर प्रशंसा की तालियों से बहुत देर तक पूरा सभागार गुंजायमान रहा। नगर के वरिष्ठ ग़ज़लकार नागेश मिश्र ने अपनी ग़ज़लों के तमाम उम्दा शेर सुनाया जिसमें से एक बकौल बानगी “हदें जाननीं पड़तीं कहाँ तक क़दम बढ़ाना है/पीना ख़ुद भी कितना है, किसे कितना पिलाना है” की प्रस्तुति पर ख़ूब वाहवाही अर्जित की।अन्त में नवगीत के वरिष्ठ कवि कुमार शैलेन्द्र ने अपने अध्यक्षीय काव्यपाठ में अपना नवगीत “वादे तो इंकलाब के आमूलचूल की/हर बार तोड़ते मगर टांगें उसूल की” सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और अतिशय प्रशंसा अर्जित की।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से कैप्टन मुन्नन सिंह,रामानुज सिंह, डॉ मार्कण्डेय सिंह , राजेन्द्र पाण्डेय, नन्दकिशोर सिंह, ब्रम्हानन्द पाण्डेय, राणा प्रताप सिंह,धरनीधर मिश्र,नवीन सिंह,तुलसी पासवान,राम बहादुर सिंह,अभय सिंह, अजीत सिंह,राजेश सिंह , संजय सिंह, संजीव सिंह, संतोष पाण्डेय, अरविंद सिंह,संपत राम, प्रमोद विश्वकर्मा,आदि उपस्थित रहे।अन्त में विद्यालय की प्रबन्धसमिति के अध्यक्ष श्री राजनारायण पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम के स्थगन की घोषणा की।