कृषि

साईं इंस्टीट्यूट में बनेगी सुगंधा औषधि वाटिका, महकेगी औषधीय पौधों की सुगंध

दवा बनाने के काम आएंगे, सुगंधा औषधि वाटिका के पौधे

सरफराज अहमद

वाराणसी। वाराणसी के बसनी स्थित साईं इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट में, सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र, कानपुर द्वारा आयोजित “सुगंधित एवं औषधीय पौधों की खेती, प्रसंस्करण एवं विपणन” पर आधारित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन हुआ। यह प्रशिक्षण चौधरी चरण सिंह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर मार्केटिंग (NIAM), जयपुर द्वारा 7 से 9 जनवरी 2025 तक प्रायोजित किया गया।

प्रशिक्षण का उद्देश्य और परिणाम, इस कार्यक्रम में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली तीन महिलाओं डॉ. अंजना त्रिपाठी, अनुपमा देवी, और ज्योति कुमारी ने साईं इंस्टीट्यूट के निदेशक अजय सिंह के नेतृत्व में “सुगंधा औषधि वाटिका” की स्थापना का निर्णय लिया। यह उद्यान 5 फरवरी 2025 को साईं इंस्टीट्यूट परिसर में स्थापित किया जाएगा। उक्त अवसर पर सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र, कानपुर के सहायक निदेशक भक्ति विजय शुक्ला भी मौजूद रहेंगे ।
सुगंधा आजीविका उद्यान का उद्देश्य के विषय में संस्थान के निदेशक अजय सिंह ने बताया कि इस उद्यान का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की आजीविका और स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है। इसके तहत स्थानीय स्तर पर महिलाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना, महिलाओं द्वारा उत्पादित उच्च-गुणवत्ता वाले सुगंधित और औषधीय उत्पादों को स्थानीय और राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाना, उनकी उत्पादों के विपणन और ब्रांडिंग के माध्यम से महिलाओं की आय में वृद्धि करना तथा सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से सतत विकास को प्रोत्साहित करना है ।
आगे की पहल, कोटवा क्षेत्र की डॉ. ज्योति उपाध्याय ने अपनी जमीन पर इस मॉडल को अन्य महिलाओं के साथ विस्तार देने का संकल्प लिया है। इस पहल से न केवल महिलाओं को सशक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
“सुगंधा औषधि वाटिका” महिलाओं के सशक्तिकरण, आजीविका के साधनों के सृजन और पर्यावरण संरक्षण का एक आदर्श उदाहरण बनेगा। यह स्थानीय स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाने के साथ-साथ ग्रामीण समुदायों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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