उत्तर प्रदेशधर्मवाराणसी

खालसा पंथ के संस्थापक श्री गुरु गोविंद सिंह के 358 वें प्रकाशोत्सव के आगमन पर निकाली शोभायात्रा

सरफराज अहमद

वाराणसी। सिख धर्म के दसवें पातशाह, खालसा पंथ के संस्थापक श्री गुरु गोविंद सिंह महाराज के 358वें प्रकाशोत्सव के आगमन के उपलक्ष्य में रविवार को एक विशाल शोभायात्रा-नगर कीर्तन के साथ निकाली गयी। यह यात्रा गुरुद्वारा बड़ीसंगत, नीचीबाग से आरंभ होकर शाम में वहीं पहुंच कर संपन्न हुई। इस दौरान गतका पार्टी ने विभिन्न स्थानों पर शस्त्र कला का अनूठा प्रदर्शन कर संगत को निहाल कर दिया।

इससे पहले श्री गुरु ग्रंथ साहिब की अगुवाई में दोपहर 12:30 बजे यह यात्रा शहर के प्रमुख मार्गों आसभैरव, चौक, गोदौलिया, गिरजाघर चौराहा, नईसड़क, लहुराबीर, कबीरचौरा, मैदागिन से होते हुए अपने समापन स्थल गुरुद्वारा बड़ीसंगत पहुंची। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की सवारी फूलों और बिजली के झालरों से भव्य तरीके से सजाई गई थी। शोभायात्रा में आगे आगे पंच प्यारे, कुछ घोड़ों पर और कुछ पैदल, धार्मिक गरिमा के साथ शामिल हुए। महिलाएं और पुरुष गुरुवाणी का शबद कीर्तन करते हुए शोभायात्रा की शोभा बढ़ा रहे थे।

जयपुर से आए भाई जितेंद्र सिंह की गतका पार्टी ने विभिन्न स्थानों पर शस्त्र कला का प्रदर्शन कर संगत को निहाल किया। चंडीगढ़ से आए पंजाब पाइप बैंड और स्थानीय बैंड ने भक्ति धुनें बजाईं, जिनमें “देहि शिवा वर मोहे इहे शुभ करमन ते कबहूं न टरों” की धुन प्रमुख रही। गुरु नानक इंग्लिश मीडियम स्कूल, गुरु नानक खालसा बालिका इंटर कॉलेज, और गुरु नानक स्कूल शिवपुर के विद्यार्थियों ने विशेष परिधान पहनकर शबद गायन और स्वच्छता का संदेश देते हुए सहभागिता की। बच्चे “स्वच्छ काशी, सुंदर काशी” का बैनर लेकर यात्रा के मार्ग को झाड़ू लगाकर साफ कर रहे थे। शोभायात्रा के मार्ग पर काशीवासियों ने पुष्प वर्षा कर श्रद्धा व्यक्त की। जगह-जगह संगत के लिए अल्पाहार और स्वागत की व्यवस्था की गई। शाम में गुरुद्वारा नीचीबाग पहुंचने पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की आरती और अरदास की गई। शोभायात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम का समापन गुरु का अटूट लंगर के साथ हुआ।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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