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डाक विभाग में तिगुना वृद्धि के खिलाफ प्रकाशको में आक्रोश

वाराणसी प्रकाशक संघ ने संचार मंत्री को पत्र लिखकर पूर्ववत छपी पुस्तकों पर बुक पोस्ट की सुविधा को बहाल करने की माँग

वाराणसी । डाक विभाग द्वारा बिना किसी नोटिफिकेशन के एकाएक साफ्टवेयर में अपडेट कर रजिस्टर्ड बुक पैकेट की सुविधा को बन्द कर छपी पुस्तकों को रजिस्टर्ड पार्सल की श्रेणी में तिगुना दर से बुकिंग किये जाने से पुस्तक प्रकाशकों, पुस्तक विक्रेताओं व पाठकों में ज़बर्दस्त आक्रोश व्याप्त है।
वाराणसी प्रकाशक संघ के महामंत्री व प्रमुख प्रकाशक रविशंकर सिंह ने बताया कि पहले छात्रों व पाठकों के लिए डाक विभाग छपी पुस्तकों को रजिस्टर्ड बुक पैकेट की श्रेणी में रखते हुए 1/- प्रति 100 ग्राम की दर से 5000 ग्राम तक डाक व्यय व रजिस्ट्रेशन चार्ज 17/- तथा 18 प्रतिशत जीएसटी चार्ज के साथ बुकिंग करता था जो अब रजिस्टर्ड पार्सल की श्रेणी की दर 19/- 500 ग्राम तक, 16/- अतिरिक्त 500 ग्राम से 20 किलो तक, रजिस्ट्रेशन चार्ज 17/- तथा 18 प्रतिशत जीएसटी के साथ बुकिंग किया जा रहा है। यानि पाँच क़िलो तक पुस्तकों का पैकेट मंगाने में पहले लगभग 80/- डाक व्यय आता था जो अब लगभग 215/- डाक व्यय हो गया है, जो अव्यवहारिक है। डाक शुल्क में एकाएक तिगुना वृद्धि से न सिर्फ पुस्तक उद्योग, पुस्तक प्रकाशकों, पुस्तक विक्रेताओं अपितु पाठकों विशेषकर पढ़ने वाले छात्रों के ऊपर सीधा असर पड़ेगा। विशेषकर सुदूर और ग्रामीण क्षेत्रों के पाठकों की रुचि को हतोत्साहित करेगा।
वाराणसी प्रकाशक संघ के अध्यक्ष राकेश जैन ने कहा कि प्रकाशक, स्वतंत्र पुस्तक विक्रेता और शैक्षणिक संस्थान बहुत हद तक सस्ती डाक सेवाओं पर निर्भर हैं, बढे़ हुए डाक शुल्क ने सभी के सामने रोज़ी-रोटी की गंभीर समस्या उत्पन्न कर दी है। डाक शुल्क में बेतहाशा वृद्धि के कारण पाठक पुस्तकों से दूर हो जाएगा।
प्रकाशक अशोक गुप्ता ने कहा कि हर रोज़ वाराणसी के विशेश्वरगंज गंज हेडपोस्ट आफिस से लगभग 1000 पैकेट पुस्तकें प्रतिदिन डाक द्वारा बाहर जाती हैं, लेकिन डाक व्यय में बेतहाशा बढ़ोतरी से पुस्तकों का मिला आर्डर कैंसिल हो रहा है। प्रकाशकों ने आरोप लगाया कि निजी कोरियर कम्पनियों को लाभ पहुँचाने के लिए रजिस्टर्ड बुक पैकेट की सुविधा को बन्द किया गया है जबकि कोरियर कम्पनियों की सेवा सिर्फ़ शहर तक ही सीमित है।
वाराणसी प्रकाशक संघ ने संचार मंत्री को पत्र लिखकर त्वरित कार्रवाई करते हुए पूर्ववत छपी पुस्तकें बुक पोस्ट की श्रेणी में मिलने वाली छूट की सुविधा को बहाल करने की माँग की है।

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