— श्री काशीपूराधिपति की धरती पर 51 शक्तिपीठ हो वह द्वादश ज्योतिर्लिंगों का दो दिवसीय समागम का हुआ समापन
— जुटे सभी शक्तिपीठों के पीठाधीश्वर अर्चक, महंत व आचार्य
— समागम के दूसरे दिन सैकड़ो वह द्वादश ज्योतिर्लिंगों के महंतों आचार्य व पुजारी का हुआ सम्मान व स्वागत
अखंड भारत की पुनर्स्थापना का निर्णय लिया गया हमारे शक्तिपीठ अखंड भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं : प्रशांत हड़ताडकर
वाराणसी । मां सती की सभी 51 शक्तिपीठों हुआ द्वादश ज्योतिर्लिंगों का समागम काशी की धरती पर रविवार को हो गया। सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में रविवार को इस महा समागम समापन में सभी शक्तिपीठों व ज्योतिर्लिंगों के महंत, आचार्य, अर्चक तथा संत समुदायों का नेपाल, पाकिस्तान सहित भारत के 52 शक्तिपीठों के पीठाधीश्वर का हुआ सम्मान। इस समागम में संपूर्ण विश्व में सनातन धर्म और लंबियों को एकजुट का संदेश दिया गया। शक्तिपीठ महासभा समागम आयोजन समिति के मार्गदर्शक प्रशांत हड़ताडकर ने कहा कि अखंड भारत की पुनर्स्थापना का निर्णय लिया गया। हमारे शक्तिपीठ अखंड भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं।महा समागम के समापन के अवसर पर कार्यक्रम में श्री राम जन्मभूमि न्यासा मंदिर के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि अब राज राम अब राम राज्य की समय आ गया है, हम सब इस समागम के अवसर पर मां सती के 51 शक्तिपीठ एवं द्वादश ज्योतिर्लिंगों का महासमागम काशी में बड़े ही शानदार तरीके से देश-विदेश के साधु संत महात्मा आचार्य व पीठाधीश्वर एकजुट हुए और उन्होंने एक स्वर में कहा कि शक्तिपीठों के माध्यम से पूरे देश में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार तेजी से किया जाएगा। अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण करके सनातनियों ने यह साबित कर दिया कि यह दिन दूर नहीं जब देश में राम राज्य स्थापित हो जाएगा। शक्तिपीठ एवं द्वादश ज्योतिर्लिंगों का महा समागम के समापन के अवसर पर
उत्तर प्रदेश सरकार के कल्याण मंत्री असीम अरुण ने कहा कि काशी विश्वनाथ की नगरी में 51 शक्तिपीठों वी द्वादश द्वादश ज्योतिर्लिंगों के महा समागम के अवसर पर देश और विदेश के संत, आचार्य व पीठाधीश्वर एक साथ समागम में आने का अवसर मिला तथा सनातन धर्म को देश विदेश में प्रचार प्रसार के लिए करने के लिए सभी संतो व आचार्य का आह्वान किया। समागम के अवसर पर उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री ने मर्स मुंडा का जन्म दिवस 150 वर्ष पूरे होने पर हम सब पूरे वर्ष मनाएंगे।। आदिवासी व जनजाति के भाई बंधु बनो और नदी के किनारे रहकर पर्यावरण को सजाने का काम सदियों से करते आए हैं यह हमेशा पृथ्वी पर रहकर बन माता और पृथ्वी माता की पूजा पर्यावरण के रूप में मनाते हैं। उन्होंने सनातन महा समागम के अवसर पर बताया कि त्रिपुरा में त्रिपुर सुंदरी का मंदिर है जहां जनजाति के लोगों का जुड़ाव है देवीपाटन मंदिर में भी कुलदेवी के रूप में पूजा व अर्जुन जनजाति वह बनवासी जाट के लोग करते हैं। इस समागम में देश दुनिया के जुट संत, आचार्य का आह्वान करते हैं कि वह देश और विदेश में सनातन धर्म का प्रचार करें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ें।
प्रदेश की शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि सेंटर फॉर सनातन रिसर्च एवं ट्रिडेंट सेवा समिति ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ रमन त्रिपाठी के प्रयासों का यह फल है कि काशी की भूमि पर दो दिवसीय महा समागम का कार्यक्रम चल रहा है देश में वसुदेव कुटुंबकम के तहत यह कार्यक्रम सफल है। काशी धर्म और आस्था के प्रतीक का केंद्र है देश व प्रदेश में मंदिर के से जुड़े धर्म व आस्था, बुद्धि विवेक देने वाले मंदिर ही होते हैं ।इस अवसर पर उन्होंने एक अच्छी सोच के साथ समिति यह महासमागम कर रहा है। इंडिया शक्तिपीठ को सबकी और आध्यात्मिक उर्जा का केंद्र भी माना जाता है इसका मुंह शक्ति पीठ धार्मिक, राष्ट्रीय एकता तथा एक आत्मा के प्रतीक है। सभी शक्तिपीठ देश के विविधता देश और संस्कृति में स्थित है इससे स्पष्ट होता है कि देवी देश के सभी प्रदेशों को जोड़ती है देवी सर्व भारतीयों के लिए समान है। मां सती महाशक्ति की 51 शक्ति पीठ वह सिर्फ अखंड भारत वह एकीकृत भारत को अपितु विश्व के अन्य देशों में स्थित होने के कारण संपूर्ण विश्व को वसुदेव कुटुंबकम के सूत्र में पिरोती हैं। सभी पवित्र शक्तिपीठ हमारे लिए तीर्थ क्षेत्र हैं लोग उनका दर्शन करने हेतु जाते हैं इसको राष्ट्रीय एकता की भावना प्रबल होती है। स्थानीय लोग शक्तिपीठ से संबंधित अनेक त्यौहार उत्सव मनाते हैं इससे लोगों का एकीकरण होता है शक्तिपीठ काल और स्थापत्य कला का नमूना मानी गई है। यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है। मां विंध्यवासिनी मंदिर के प्रधान पुजारी श्री अगस्त द्विवेदी ने कहा कि इस महा समागम कार्यक्रम में शक्तिपीठ सामाजिक सुधार किया केंद्र हैं यहां लोगों को समानता और बंधुता का संदेश मिलता है शक्तिपीठ देवी और शिव का एक एकीकरण है शिव पार्वती के मंगल मिलन का प्रतीक है शक्तिपीठ आध्यात्मिक एकता के प्रतीक हैं जहां व्यक्ति भगवती और ब्रह्मांड ईसे एकात्मक होता है ।शक्तिपीठ शक्ति और शांति का संतुलन है। सेंटर फॉर सनातन रिसर्च के वरिष्ठ कार्यकर्ता सुरेश हावड़े ने मंदिर के निर्माण करना तथा मंदिर की प्रबंधन पर मंदिरों को मार्गदर्शन वह ऑर्गेनाइज करना बहुत जरूरी होता है। मंदिर का समाज का केंद्र है , मंदिर की ओर से ब्लड डोनेशन, अन्न दान प्रबंधन आदि होना चाहिए।। इसके साथ ही श्री रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना कार्यक्रम में अमित श्रीवास्तव ने एक भव्य नित्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया इसके अलावा कन्याओं ने मां सती के रूप का एक नाटक का भव्य मंचन किया गया जिसको साधु संतों ने खूब सराहा। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय महामंत्री लक्ष्मी नारायण शर्मा ने किया तथा देश-विदेश से आए संत समाज का सम्मान सम्मान व प्रतीक चिन्ह संस्था के अध्यक्ष डॉक्टर रमन त्रिपाठी ने भेंट कर किया। इस महा समागम कार्यक्रम में पीतांबरा पीठ मुड़िया के पुजारी, श्री विंध्यवासिनी मंदिर के महंत श्री अगस्त द्विवेदी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रधान अर्चक श्रीकांत मिश्र भद्रकाली शक्तिपीठ हरियाणा के महंत सहित देश-विदेश के सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों के महंत व आचार्य तथा शक्तिपीठ के संतों का आदर पूर्वक सम्मान किया गया। इसके अलावा डॉक्टर श्वेता शर्मा विश्व हिंदू परिषद की अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार( एडवोकेट),श्रीकांत द्विवेदी सुरेश सोनी, वरिष्ठ पत्रकार प्रोफेसर अवधेश कुमार सहित अनेक विद्वानों ने अपने विचार प्रकट किया। धन्यवाद ज्ञापित विशालाक्षी मंदिर के महंत पंडित राजनाथ तिवारी ने किया। महा समागम कार्यक्रम में मुख्य रूप से आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी दो भैया जी जोशी श्री राम जन्मभूमि न्यास मंदिर के महामंत्री चंपत राय सुरेश सोनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रोफेसर अवधेश कुमार संस्था के अध्यक्ष डॉ रमन त्रिपाठी राष्ट्रीय महामंत्री श्रीकांत द्विवेदी आलोक कुमार केंद्रीय प्रभारी रामकृष्ण पांडे श्रीकांत पांडे डॉक्टर सुधीर कुमार मिश्रा नितिन तिवारी केशव प्रसाद सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।