एजुकेशनवाराणसी

कुलपति प्रो.जैन ने चिकित्सा विज्ञान संस्थान के नवप्रवेश विद्यार्थियों व नव नियुक्त संकाय सदस्यों से किया संवाद


चिकित्सा के पेशे में चिकित्सकीय कौशल व योग्यता जितने ज़रूरी, मानवीय संवेदनाओं के साथ कर्तव्य निर्वहन भी उतना ही आवश्यक
• विद्यार्थियों का किया आह्वान, दूसरों की राय व अपेक्षाओं से न तय करें अपनी सफलता की परिभाषा
• संकाय सदस्यों को उत्कृष्टता हेतु उत्साह व ऊर्जा के साथ काम करने का किया आह्वान
वाराणसी  । कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा है कि डॉक्टर्स के लिए जितना महत्वपूर्ण चिकित्सकीय कौशल व योग्यता होती है उतना ही आवश्यक है मानवीय मूल्यों के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करना। कुलपति जी सोमवार को चिकित्सा विज्ञान संस्थान में नव प्रवेशी विद्यार्थियों तथा नव नियुक्त संकाय सदस्यों के साथ संवाद कर रहे थे। संस्थान के उडुपा सभागार में विद्यार्थियों व शिक्षकों के साथ तकरीबन दो घंटे चले संवाद कार्यक्रम में कुलपति जी ने लक्ष्य तय करने तथा उन्हें हासिल करने हेतु टिप्स साझा किये। कुलपति जी ने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे विश्वविद्यालय में अपने समय का भरपूर सदुपयोग करें क्योंकि एक विद्यार्थी के रूप में उनके अनुभव जीवन भर उनके साथ रहेंगे और विद्यार्थी जीवन फिर लौट कर नहीं आता। प्रो. जैन ने कहा कि चिकित्सक का पेशा अत्यंत चुनौतीपूर्ण और ज़िम्मेदारी भरा होता है क्योंकि एक डॉक्टर को हमेशा मरीज़ों के भरोसे की कसौटी पर खरा उतरना होता है। ये भरोसा केवल अच्छी दवा या चिकित्सकीय ज्ञान से ही मज़बूत नहीं होता, बल्कि मानवीय मूल्यों व संवेदनाओं को अपने व्यवहार व कार्य में अपनाने से भी उत्पन्न होता है। कुलपति जी ने विद्यार्थियों को सुझाव दिया कि वे सफलता की अपनी परिभाषा को दूसरों की राय या अपेक्षा से प्रभावित न होने दें। वे खुद तय करें की वे सफलता के लिए उनके मापदंड क्या हैं। कुछ लोगों के लिए अच्छी आय, बड़ा पद या ख्याति सफलता का पैमाना हो सकता है, जबकि कुछ लोग सेवा व सामुदायिक योगदान से सफलता को परिभाषित कर सकते हैं। प्रो. जैन ने विद्यार्थियों से पूछा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में चिकित्सा अध्ययन में प्रवेश लेने के पीछे उनकी क्या प्रेरणा थी, जिस पर विद्यार्थियों ने विविध उत्तर दिये। कुलपति जी ने कहा कि शिक्षा के अपने लक्ष्यों को हासिल करने में तीन बाते महत्वपूर्ण हैं, आकांक्षी होना, प्रेरणा होना तथा आवश्यक कौशल हासिल करना। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक डिग्री तो कहीं से भी हासिल हो सकती है, लेकिन विश्वविद्यालय हम में आकांक्षाएं उत्पन्न करता है, हमें नए अवसर उपलब्ध कराता है और ऐसा वातावरण देता है, जिसके माध्यम से हम उन आकांक्षाओं को साकार करने के लिए खुद को तैयार करते हैं। भावी चिकित्सकों को विविध अनुभव प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कुलपति जी ने कहा कि जीवन में लक्ष्य केन्द्रित होना अति आवश्यक है। साथ ही साथ कार्य के प्रति समर्पण, अनुशासन, प्रतिबद्धता, व कर्तव्यनिष्ठा हमें सही मायने में सफलता की ओर अग्रसर करती है। संवाद कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने विभिन्न विषयों पर अपनी जिज्ञासाएं भी सामने रखीं, जिनका कुलपति जी ने उत्तर भी दिया।

कुलपति जी ने चिकित्सा विज्ञान संस्थान में नवनियुक्त शिक्षकों से भी संवाद किया तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में आने पर उनके अनुभव जानने चाहे। कुलपति जी ने कहा कि नए व युवा संकाय सदस्यों पर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को आगे ले जाने की ज़िम्मेदारी है और इस क्रम में विश्वविद्यालय उन्हें पूरी तरह से सहयोग व समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि संकाय सदस्यों तथा शोधकर्ताओं का समय व ऊर्जा प्रशासनिक व व्यवस्थागत प्रक्रियाओं में व्यर्थ न हो इसके लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किये जा रहे हैं। प्रो. जैन ने संकाय सदस्यों का आह्वान किया कि वे उत्कृष्टता के लिए उत्साह व ऊर्जा के साथ आगे बढ़ें और इस उद्यम में विश्वविद्यालय उन्हें हर संभव मदद मुहैया कराएगा।

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