एजुकेशनवाराणसी

विद्याज्ञान में अनन्य के चयन पर जताई गई खुशी

वाराणसी।19 दिसंबर 2024 को ग्राम ठटरा सेवापुरी निवासी आतिश उर्फ मुलायम मौर्य की पुत्री अनन्य मौर्य ने विद्याज्ञान कक्षा 6 प्रवेश परीक्षा पास कर अपने परिवार और विद्यालय का मान सम्मान बढ़ाया। अनन्य पीएम श्री प्राथमिक विद्यालय ठटरा प्रथम विकास क्षेत्र सेवापुरी वाराणसी की कक्षा 5 में अध्यनरत छात्रा है। पता हो कि विद्याज्ञान की योग्यता-आधारित छात्रवृत्तियाँ, शिक्षा में उत्कृष्टता के प्रति इसकी प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं। हर साल, संगठन वंचित पृष्ठभूमि से असाधारण रूप से प्रतिभाशाली छात्रों की पहचान करता है और उन्हें अपने विश्व स्तरीय आवासीय विद्यालयों में पढ़ने के लिए पूर्ण छात्रवृत्ति प्रदान करता है। हजारों छात्रों के बीच इस वर्ष जनपद से कुल 12 छात्र एवं 40 छात्राओं ने परीक्षा पास की है।
अनन्य की कक्षा अध्यापिका नीलम केशरी ने बताया कि अनन्य के माता-पिता अनन्य की पढ़ाई को लेकर काफी जागरूक हैं। अनन्य भी पढ़ने में खूब मेहनत करती है।कक्षा अध्यापिका के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले अध्यापक अब्दुर्रहमान का कहना है कि हम लोग तैयारी करने वाले बच्चे को अपनी देख -रेख में बगैर किसी कोचिंग और ऑनलाइन कक्षाओं के अपनी कक्षा कक्ष में ही अतिरिक्त समय निकल कर बच्चों को तैयारी करा रहे हैं।

खुशी के इस अवसर पर डायट प्राचार्य उमेश कुमार शुक्ला,खंड शिक्षा अधिकारी संजय यादव ,विद्यालय के प्रधानाध्यापिका रेनू गुप्ता,नीलम केशरी, कल्पना सिंह,अनवरुद्दीन अंसारी अब्दुर्रहमान,मनीष कुमार गौंड,संयोगिता पाण्डेय,जागृति सिंह,अंजली आर्य सहित सैकड़ों अध्यापकों ने बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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