क्राइमवाराणसी

खुशी के मौके पर भाई की पिस्टल से चली गोली, बहन की मौत

मातम में बदली खुशियां, पुलिस जांच में जुटी

सरफराज अहमद

वाराणसी। देवनाथपुरा इलाके में बीती रात एक परिवार में खतना के कार्यक्रम के दौरान खुशी का माहौल था कि अचानक भाई की पिस्टल से गोली चल गई जिससे उसकी बहन की मौत हो गई। दशाश्वमेध थाने की पुलिस ने महिला का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। पति की तहरीर पर दशाश्वमेध थाने की पुलिस महिला के भाई के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसकी तलाश कर रही है। पुलिस के अनुसार, जैतपुरा थाना क्षेत्र के कच्चीबाग निवासी बुनकर मोहम्मद अली की पत्नी निशी इलाही (28) के भाई आमिर इलाही के छह वर्षीय बेटे लड्डू के खतना का कार्यक्रम मंगलवार की रात देवनाथपुरा में था। कार्यक्रम के दौरान आमिर इलाही ने अपनी पिस्टल से हवाई फायरिंग का प्रयास किया मगर, गोली नहीं चली। इस पर वह पिस्टल नीचे कर उसके चेंबर में फंसी गोली निकालने का प्रयास कर रहा था। उसी दौरान गोली चल गई और सामने बैठी उसकी बहन निशी इलाही के बाएं कंधे और सीने के बीच में जा लगी। गोली लगते ही निशी इलाही की घटनास्थल पर ही मौत गई। मामला भाई-बहन का होने के कारण परिजन शव लेकर चुपचाप कच्चीबाग चले गए। घटना की सूचना पाकर पुलिस सक्रिय हुई और शव कब्जे में ली।

उधर, इस संबंध में एसीपी दशाश्वमेध प्रज्ञा पाठक ने बताया कि आमिर इलाही के बेटे लड्डू का खतना का कार्यक्रम था। आमिर ने पिस्टल हाथ में लेकर ऊपर की ओर फायरिंग की तो गोली नहीं चली। पिस्टल के चेंबर में फंसी गोली निकालने के दौरान फायरिंग हुई और उसकी बहन की मौत हो गई। पिस्टल लाइसेंसी थी या नहीं थी, इसका पता लगाया जा रहा है। आरोपी की तलाश में पुलिस की दो टीम लगाई गई है।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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