उत्तर प्रदेशवाराणसी

यह रेलवे क्रासिंग है जाम के लिए बदनाम

हर दिन जाम से जूझते हैं हजारों, यह है प्रमुख कारण

वाराणसी। राजातालाब, रेलवे क्रासिंग पर रविवार सुबह ट्रेनों का आवागमन ज्यादा होने से वाहनों की कतार लग गई। राहगीर कई घंटों तक जाम में जूझते नजर आए। इस दौरान वाहन चालकों की एक दूसरे से नोकझोंक भी होती नजर आई। जाम का कारण क्रासिंग पर ओवरब्रिज का न बन पाना है।

राजातालाब रेलवे क्रासिंग पर रविवार सुबह ट्रेनों का आवागमन ज्यादा होने से वाहनों की कतार लग गई। राहगीर कई घंटों तक जाम में जूझते नजर आए। इस दौरान वाहन चालकों की एक दूसरे से नोकझोंक भी होती नजर आई। जाम लगने का मुख्‍य कारण क्रासिंग पर अब तक ओवरब्रिज का न बन पाना है। इसके कारण लोगों को रोज घंटों समस्‍याओं से जूझना पड़ता है। कई बार मांग करने के बाद भी ओवरब्रिज का निर्माण नहीं हो पा रहा है।

रेलवे क्रॉसिंग पर कई मालगाड़ी और यात्री ट्रेनों को निकालने के लिए बार-बार लंबे समय तक फाटक बंद होने के चलते वाहनों की लंबी कतार लग जाती है। छोटे वाहनों के आड़े-तिरछे खड़े होने और मार्ग पर अतिक्रमण से लोगों की परेशानी और बढ़ गई जाती है। क्रॉसिंग पर आजतक ओवरब्रिज निर्माण नहीं होने के चलते मुसाफिरों को आएदिन जाम के झाम से जूझना पड़ता है। रविवार दोपहर को भी यही स्थिति रही। लोग कई घंटों तक परेशान होते रहे। जब फाटक खुलता तो जल्दबाजी में निकलने के चक्कर में अपने वाहनों को आगे निकालने के लिए चालकों में नोकझोंक होती नजर आई। लोग सरकार और सिस्टम को कोसते दिखे। वाहनों की कतार बढ़ने पर कई चालकों ने अपने वाहनों की स्टेयरिंग वैकल्पिक मार्ग की ओर मोड़ दीं, लेकिन वहां भी वाहनों की कतार देखकर फिर हाईवे पर आ गए। बता दें कि काशी प्रयागराज हाईवे से पंचकोसी मार्ग पर यहाँ राजातालाब रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज के निर्माण नहीं होने के चलते आए दिन वाहनों की लंबी कतार लग जाती है। भीषण जाम में रोजाना कई घंटों तक लोग परेशान होते हैं। उधर ठंड के मौसम में जाम छुड़ाने के लिए प्रशासन को भी पसीना छुट रहा हैं।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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