एजुकेशन

कला ग्राम में बदला नज़र आ रहा है वसंत कन्या महाविद्यालय

हर तरफ कला, कलाकृतियां और कलाकार...

वाराणसी। वसन्त कन्या महाविद्यालय, कमच्छा, वाराणसी इन दिनों कला ग्राम में बदला नज़र आ रहा है। हर तरफ कला कलाकृतियां और कलाकार…। ऐसा ही नज़ारा इन दिनों वसंत कन्या महाविद्यालय वाराणसी का है।

दरअसल यहां महाविद्यालय के अकादमिक और सांस्कृतिक मंच ‘सर्जना’ द्वारा गुरुवार 20 फरवरी को ‘जीवन के रंग’ विषय पर आधारित सप्ताह व्यापी कार्यक्रम प्राचार्या प्रो.रचना श्रीवास्तव की अगुवाई में शुरू हुआ। उन्होंने छात्राओं की प्रतिभा एवं सृजानात्मकता की प्रशंसा करते हुए उन्हें अपने गुणों को उत्कृष्ट बनाने एवं निखारने के लिए उत्प्रेरित किया।

आयोजन का संचालन सर्जना संयोजिका प्रो. सीमा वर्मा, सह-संयोजिका डा. सुमन सिंह एवं महाविद्यालय की वरिष्ठ अध्यापिका डा. शांता चटर्जी के निर्देशन में हुआ। इस प्रतियोगिताओं में रंगोली, कोलाज, डॉक्यूमेंट्री, चित्रकथा लेखन, पोस्टर प्रतियोगिताएं आयोजित हुईं। आरंभ रंगोली प्रतियोगिता से प्रातः 10:00 से हुआ। इस प्रतियोगिता में 11 छात्राएं उपस्थित रहीं। कोलाज प्रतियोगिता 11:30 से शुरू हुई जिसमें 13 छात्राओं ने भाग लिया। डॉक्यूमेंट्री प्रतियोगिता 12:00 से शुरू हुई जिसका मुख्य विषय ‘काशी की धरोहर’ था, इसमें 14 छात्राओं ने भाग लिया। चित्रकथा लेखन प्रतियोगिता में 90 छात्राओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का समापन पोस्टर प्रतियोगिता से हुआ। इसमें 16 छात्राओं ने शिरकत किया। इसका मुख्य विषय ‘महाकुंभ’ था। कार्यक्रम में महाविद्यालय के संकाय सदस्य एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी भी उपस्थित रहे। जिनमें मुख्य रूप से प्रो. ममता मिश्रा, डा. आरती कुमारी, डॉ. मंजू कुमारी, डॉ .सौमिली मण्डल, डा. वर्षा सिंह, एच. अम्बृष ने आयोजक की भूमिका निभाई। निर्णायक मंडल के रूप में प्रो.गरिमा उपाध्याय, प्रो. पूनम पाण्डेय, डॉ. शशिकला, डॉ.सपना भूषण, डॉ. प्रियंका, डॉ. सुप्रिया सिंह, डॉ. आरती चौधरी, डॉ.अनुराधा बापुली, सिमरन सेठ, डॉ. प्रियंका पाठक ने प्रतिभागियों के सृजनात्मक कौशल का आकलन किया। सभी कार्यक्रमों में महाविद्यालय की समस्त शिक्षक एवं शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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