भारत अमेरिका से अधिक तेल और गैस खरीदेगा: डोनाल्ड ट्रंप

भारत के पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे के दरमियान हुए कई अहम समझौते
अमेरिका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दरमियान दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते हुए। दोनों के बीच हुई द्विपक्षीय मुलाक़ात के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत अमेरिका से अधिक तेल और गैस खरीदेगा। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलेगी। अमेरिका भारत का शीर्ष तेल और गैस आपूर्तिकर्ता होगा।वहीं भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि इस बात की संभावना है कि अमेरिका से तेल और गैस का आयात सालाना 15 अरब डॉलर से बढ़कर 25 अरब डॉलर हो सकता।
कच्चे तेल के मामले में अमेरिका भात का पांचवा और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के मामले में एक बड़ा आपूर्तिकर्ता है। तेल खपत में अमेरिका, चीन के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है। भारत अपनी ज़रूरत का क़रीब 80 प्रतिशत तेल आयात करता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले तक भारतीय तेल के आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी महज़ एक फीसदी रही, एक साल में यानी 2023 में बढ़कर 35 फीसदी हो गई। युद्ध के कारण रूस को बड़े पैमाने पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा। ऐसे समय में भारत ने अच्छी दरों पर रूस से बड़े पैमाने पर तेल आयात किया।
अमेरिका से हुए समझौते के तहत भारत कच्चे तेल के साथ-साथ अमेरिका से प्राकृतिक गैस का भी आयात करेगा। भारत सरकार साल 2030 तक देश में प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल के शेयर को 6.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करना चाहती है। आधिकारिक व्यापार आंकड़ों के मुताबिक़ साल 2022-23 में भारत ने 1.985 करोड़ टन एलएनजी आयात किया। जिसमें से क़रीब 54 प्रतिशत हिस्सेदारी क़तर की रही।
तेल किसी भी देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। ऐसे में उसकी क़ीमत बहुत मायने रखती है। भारत में 70 प्रतिशत तेल मंगवाने का काम सरकारी कंपनियां और 30 प्रतिशत प्राइवेट कंपनियां करती हैं।अमेरिकी दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत और अमेरिका ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने की बात की है।
साल 2023 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 190.08 अरब अमेरिकी डॉलर का था। इसमें भारत का निर्यात 83.77 अरब डॉलर और आयात 40.12 अरब डॉलर था। ऐसी ही एक मिनी ट्रेड डील ट्रंप भारत के साथ भी करना चाहते थे। यह बताता है कि ट्रंप शुरू से अपने व्यापार घाटे को लेकर गंभीर हैं।