वाराणसी

श्रद्धालुओं को फजीहत न हो इसलिए आशा ट्रस्ट ने खोला अपना परिसर

वाराणसी। महाकुंभ के चलते वाराणसी जिले में उमड़े हुए जन ज्वार के चलते देश के विभिन्न प्रान्तों से आये श्रद्धालुओं को काफी फजीहत का सामना करना पड़ रहा है। नगर में बाहरी नम्बरों की गाड़ियों का प्रवेश प्रतिबंधित होने से हजारों की संख्या में गाड़ियां नगर की सीमा के बाहर खडी हैं जिनमें आये हुए श्रद्धालुओं को न तो प्रसाधन की सुविधा मिल पा रही है न ही रात्रि विश्राम के लिए सुरक्षित स्थान। सड़क के किनारे रात्रि काटने को मजबूर श्रद्धालुओं से आपदा में अवसर बनाते हुए पार्किंग के नाम पर मनमाना धन वसूली की भी खबरें मिल रही है।
ऐसे में सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट ने अपने भंदहा कला (कैथी) परिसर को श्रद्धालुओं को रात्रि विश्राम हेतु निःशुल्क उपलब्ध कराने की पेशकश की है। संस्था के समन्वयक एवं ट्रस्टी वल्लभाचार्य पाण्डेय ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिख कर और जिलाधिकारी एवं मंडलायुक्त वाराणसी को मेल लिख कर संस्था के इस प्रस्ताव से अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि देश भर से आये श्रद्धालुओं की मजबूरी का फायदा उठाते हुए उनसे मनमाना धन उगाही किये जाने से काशी की छवि धूमिल हो रही है। आशा ट्रस्ट परिसर में 50-60 लोगों के रात्रि विश्राम के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हैं जिनका निःशुल्क प्रयोग बाहर से आये श्रद्धालु अगले 10 दिनों तक कर सकते हैं । संस्था के कार्यकर्ता प्रदीप सिंह एवं दीन दयाल सिंह आशा केंद्र पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उपलब्ध रहेंगे।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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