उत्तर प्रदेशएजुकेशन

भारत में टीबी के 25 लाख सक्रिय मरीज

टीबी की बीमारी से दुनियाभर में लगभग 1 करोड़ मरीज चिह्नित किए गए है उनमें से 25 फीसदी सिर्फ भारत से हैं यानी कि 25 लाख मरीज। उसमें भी 33 फीसदी टीबी के मरीज उत्तर प्रदेश से आते है। वाराणसी में वर्तमान में साढ़े छः हजार टीबी के सक्रिय मरीज है जिनका इलाज चल रहा है।

सरफराज अहमद

वाराणसी। डीएवी पीजी कॉलेज में राष्ट्रीय सेवा योजना के अंतर्गत सोमवार को टीबी मुक्त भारत पर एक दिवसीय विशेष शिविर का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि श्रीशिव प्रसाद गुप्त मण्डलीय चिकित्सालय, कबीरचौरा के टीबी चिकित्साधिकारी डॉ. अन्वित श्रीवास्तव ने स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए कहा की टीबी की बीमारी से दुनियाभर में लगभग 1 करोड़ मरीज चिह्नित किए गए है उनमें से 25 फीसदी सिर्फ भारत से है यानी कि 25 लाख मरीज। उसमें भी 33 फीसदी टीबी के मरीज उत्तर प्रदेश से आते है। वाराणसी में वर्तमान में साढ़े छः हजार टीबी के सक्रिय मरीज है जिनका इलाज चल रहा है। डॉ. अन्वित ने बताया कि भारत सरकार ने 2025 तक टीबी मुक्त भरत का लक्ष्य रखा है, यह लक्ष्य कठिन अवश्य है लेकिन असंभव नहीं, इसमें एनएसएस स्वयंसेवक काफी मददगार हो सकते है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीति अनुसार राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक टीबी मुक्त भारत अभियान में निश्चय मित्र बनकर पूरा सहयोग कर सकते है।

अध्यक्षता करते हुए कार्यकारी प्राचार्य प्रो. मिश्रीलाल ने कहा कि स्वस्थ्य और निरोगी काया ही राष्ट्र निर्माण में सहयोग कर सकती है। क्षय मुक्त भारत अभियान में स्वयंसेवक जनचेतना के लिए कर्तव्यबोध करते हुए अपनी उपयोगिता सिद्ध कर सकते है।

कार्यक्रम अधिकारी एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. ओमप्रकाश कुमार ने कहा कि एनएसएस की स्थापना ही राष्ट्र निर्माण के विविध लक्ष्यों को ध्यान में रखकर की गई थी, सरकार ने इस बार बजट में एनएसएस के लिए प्रावधान 250 करोड़ से बढ़ाकर 450 करोड़ रुपये कर दिया है, जो अत्यंत सराहनीय है।

कार्यक्रम में टीबीएचबी शशिकेश मौर्या, संदीप कौशल, संजय भारती, टीबी चैंपियन मोहम्मद अहमद सहित स्वयंसेवक खुशी सिंह, शिक्षा मिश्रा ने भी विचार रखे। इस मौके पर टीबी अधिकारियों द्वारा स्वयंसेवको की जांच भी की गई। संचालन प्रशान्त द्वारा किया गया।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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