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ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स में पहुंचेंगे पाकिस्तान के जायरीन

अजमेर में पहले कुल शरीफ का हुुआ आयोजन

सरफराज अहमद

अजमेर। सरकार ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह (ग़रीब नवाज़) का उर्स अजमेर में शुरू हो चुका है। ख्वाजा के उर्स पर देश दुनिया के जायरीन जुटना शुरू हो गये हैं। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के जायरीन का जत्था 6 रजब को चादर चढ़ाने अजमेर दरगाह पहुंचेगा। दरगाह में पहला कुल शरीफ आज मध्यरात्रि सम्पन्न हो गया। कुल शरीफ में लोगों का मजमा उमड़ा हुआ था।

इससे पहले उर्स के खास मौके पर हजारों किलोमीटर नंगे पैर पैदल चल कर आए कलंदरों का जत्था भी ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पहुंचा। गेगल टोल प्लाजा के पास सर्वधर्म एकता समिति के अध्यक्ष सैय्यद खुश्तर चिश्ती ने कलंदरों का स्वागत किया। कलंदर घूघरा स्थित रोशन अली शाह पीर की दरगाह होते हुए गरीब नवाज के चिल्ले पर पहुंचे। इस दौरान कलंदरों ने हैरतअंगेज कारनामे दिखाए। उर्स के मौके पर छड़ियों का जुलूस बैंड बाजे ढोल ढमाकों के साथ निकला। इसमें देश के कई राज्यों से मलंग कलंदर और जायरीन पैदल दरगाह पहुंचे। दोपहर 3 बजे गंज स्थित उस्मानी चिल्ला से जुलूस रवाना होकर सूफी सेन्ट स्कूल के सामने से होकर ऋषि घाटी पहुंचे। यहां से उस्मानी मोइनुद्दीन गुदड़ी शाह खानकाह के सज्जादानशीन हजरत इमाम हसन गुदड़ी शाह बाबा पंचम की अध्यक्षता में दरगाह शरीफ में प्रवेश किया। दिल्ली के महरौली में इकट्ठा होकर आए कलंदरों ने अजमेर में जुलूस के दौरान एक से बढ़कर एक करतब दिखाए।

अपने हाथों निकाल दी अपनी आंखें

किसी कलंदर ने चाकू से अपनी आंख का हिस्सा बाहर निकाला तो किसी ने अपनी जीभ के आर पार लोहे का सरिया कर दिया। कोई छाती पर तलवार घुसाते हुए नजर आया तो किसी ने गले के अंदर लोहे का सरिया आर पार कर दिया। यह सभी हैरत अंगेज करतब देख तमाम लोग चौंक पड़े। यहां देश के कोने-कोने से मलंगों, बाबाओं की ओर से लाई हुई छड़िया व झंडे आस्ताना के दरवाजे पर लगाए गए। छड़ी के जुलूस के दौरान दरगाह और दिल्ली गेट के आसपास के व्यापारियों ने अपने स्तर पर मलंगों और जरिए का माला पहनकर स्वागत किया। किसी ने चाय कॉफी की व्यवस्था की तो किसी ने नाश्ते की व्यवस्था कलंदरों के लिए की।

कोलकाता से आए सकावत अली ने बताया कि कई साल पहले एक अग्निकांड में उनके दोनों हाथ झुलस गए थे। चिकित्सकों ने उपचार के दौरान हाथों में जहर फैलने के कारण उसके दोनों हाथों की कलाई काट दी थी। उसके बाद से ही वह बॉम्बे की लोकल ट्रेन में खाने पीने का सामान बेच कर परिवार का भरण पोषण करते हैं और घर में बीवी बच्चे सभी हैं। वह पिछले 14 साल से इसी तरीके से मोटरसाइकिल चला कर करीब 2000 किलोमीटर बाइक चलाते हुए ख्वाजा गरीब नवाज के सालाना उर्स में कलंदरों के साथ आते हैं।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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