वाराणसीस्वास्थ्य

काशी ओफ्थाल ट्रॉमाकान 2024 का सफल आयोजन

नेत्र चोट प्रबंधन में नई दिशाओं पर चर्चा

सुशील मिश्रा

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय नेत्र संस्थान और अखिल भारतीय नेत्र चोट संघ (ओक्यूलर ट्रॉमा सोसाइटी ऑफ इंडिया) के संयुक्त तत्वावधान में, एशिया पैसिफिक ऑपथैल्मिक ट्रॉमा सोसायटी के सहयोग से, काशी ओफ्थाल ट्रॉमाकान 2024 का आयोजन 14 और 15 दिसंबर को के. एन. उड्डुप्पा ऑडिटोरियम में किया गया। यह सम्मेलन अखिल भारतीय नेत्र चोट संघ का 16वां वार्षिक अधिवेशन था, जिसमें नेत्र चोटों के प्रबंधन और बचाव पर विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए।

सम्मेलन का उद्घाटन रविवार को सिंगापुर के प्रोफेसर रुपेश अग्रवाल, जो इंटरनेशनल ओक्यूलर ट्रॉमा सोसाइटी के सचिव हैं, ने किया। मुख्य अतिथि के तौर पर प्रोफेसर अग्रवाल ने अपने संबोधन में नेत्र चोटों के नोडल सेंटर और फेलोशिप कोर्स शुरू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। गेस्ट ऑफ ऑनर, चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एस. एन. संखवार, डीन प्रो. अशोक चौधरी, ट्रॉमा सेंटर प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह, क्षेत्रीय नेत्र संस्थान के चीफ प्रो. वी. पी. सिंह, पद्मश्री प्रो. ए. के. ग्रोवर (अध्यक्ष ओटीएसआई), और पद्मश्री प्रो. एस. नटराजन जैसे दिग्गजों की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष बनाया।

इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में कुल 235 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन के दौरान नेत्र चोटों के प्रबंधन और बचाव से संबंधित कुल 92 शोध पत्र और 42 फैकल्टी व्याख्यान 12 सत्रों में प्रस्तुत किए गए। कॉन्फ्रेंस के आयोजन सचिव, नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आर. पी. मौर्या ने बताया कि इस कार्यक्रम में नेपाल, सिंगापुर, ओमान, और कोलंबिया से विशेषज्ञों ने भाग लिया।

नेपाल के पूर्व नेत्र संघ अध्यक्ष प्रो. रोहित शिजू ने जानवरों (कुत्ता, भालू, गाय आदि) से होने वाली नेत्र चोटों के प्रबंधन पर चर्चा की। ओमान के प्रो. अब्दुल्लाह अलमुहजानि और कोलंबिया की डॉ. पाउला ने नेत्र चोटों के आधुनिक प्रबंधन और बचाव के उपायों पर प्रकाश डाला।

सिंगापुर से पांच और नेपाल से छह फैकल्टी ने अपनी प्रस्तुतियां दीं।

मुख्य अतिथि प्रो. रुपेश अग्रवाल ने सम्मेलन के दौरान सुझाव दिया कि बीएचयू में नेत्र चोटों के लिए एक पॉली ट्रॉमा नोडल सेंटर की स्थापना की जाए। उन्होंने कहा कि आम जनमानस के हित में नेत्र संबंधी ट्रॉमा के लिए विशेष केंद्र और फेलोशिप कोर्स शुरू किया जाना चाहिए। इस अनुशंसा पर चिकित्सा संस्थान निदेशक और ट्रॉमा सेंटर प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह ने सहमति व्यक्त करते हुए केंद्र स्थापित करने और फेलोशिप कोर्स शुरू करने का आश्वासन दिया।

पद्मश्री प्रो. ए. के. ग्रोवर ने इस पहल में हर संभव सहायता देने की बात कही। इसके अलावा, प्रो. आर. पी. मौर्या को नोडल सेंटर का प्रभारी बनाने की बात भी प्रमुखता से उठाई गई। आयोजन चेयरपर्सन और क्षेत्रीय नेत्र संस्थान के चीफ प्रो. वी. पी. सिंह ने सम्मेलन की सफलता का श्रेय सभी प्रतिभागियों और आयोजकों को दिया। आयोजन सचिव प्रो. आर. पी. मौर्या ने कहा कि इस कॉन्फ्रेंस ने नेत्र चोट प्रबंधन के क्षेत्र में नई दिशा और दृष्टिकोण प्रदान किए हैं।

सम्मेलन ने नेत्र चिकित्सा में आधुनिक प्रौद्योगिकियों और दृष्टिकोणों को साझा करने के साथ-साथ वैश्विक सहयोग के महत्व को रेखांकित किया।‌ काशी ओफ्थाल ट्रॉमाकान 2024 ने नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विशेषज्ञों को एक मंच पर लाने में सफलता हासिल की। यह आयोजन नेत्र चोट प्रबंधन के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हुआ।

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Himanshu Rai

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