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काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ऑक्यूलर ट्रामा सोसाइटी ऑफ इंडिया का 16वां वार्षिक सम्मेलन आज

नेत्र चिकित्सा में नई उपलब्धियां की ओर एक कदम

वाराणसी । काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में 14 और 15 दिसंबर 2024 को “ऑक्यूलर ट्रॉमा सोसाइटी ऑफ इंडिया” का 16वां वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम का आयोजन “काशी ऑप्थल ट्रॉमाकॉन-2024” के नाम से किया जा रहा है। सम्मेलन का उद्देश्य नेत्र चिकित्सा में नवीनतम अनुसंधान, आघात प्रबंधन और उभरती चुनौतियों पर विचार-विमर्श करना है।

कार्यक्रम का विशेष महत्व

यह सम्मेलन नेत्र चिकित्सा में ऑक्यूलर ट्रॉमा को एक अलग विशेषज्ञता के रूप में स्थापित करने और इसके प्रबंधन में नवीनतम तकनीकों को साझा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा।

सम्मेलन का आयोजन इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ऑक्यूलर ट्रॉमा और ऑक्यूलर ट्रॉमा सोसाइटी ऑफ इंडिया के सहयोग से किया जा रहा है। इसका मुख्य स्थल बीएचयू के प्रोफेसर के.एन. उडप्पा ऑडिटोरियम होगा। दो दिवसीय इस आयोजन में भारत और विदेशों के ख्यातिप्राप्त नेत्र चिकित्सा विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे। नेपाल, सिंगापुर और अन्य देशों से भी विशेषज्ञ इस आयोजन में शिरकत करेंगे। नेपाल ऑथल्मिक सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रोहित साजू, डॉ. प्रेरणा अर्जियाल और डॉ. होम बहादुर सम्मेलन के प्रमुख वक्ता होंगे।

प्रमुख आकर्षण

इस सम्मेलन में कई गतिविधियों का आयोजन होगा, जिनमें शामिल हैं:

विशेषज्ञों द्वारा ओरेशन और लेक्चर

कंटेंट आधारित शोध-पत्रों की प्रस्तुति

ओरल और पोस्टर प्रेजेंटेशन

नेत्र आघात से संबंधित क्विज़

डॉक्टर्स और शोधकर्ताओं के अनुभव साझा करने के सत्र

नेत्र चिकित्सा से जुड़े विभिन्न पहलुओं जैसे कि आघात की रोकथाम, उपचार, और नए अनुसंधानों पर गहन चर्चा होगी।

नेत्र चिकित्सा में ऑक्यूलर ट्रॉमा का महत्व

नेत्र चिकित्सा में ऑक्यूलर ट्रॉमा एक गंभीर और कभी-कभी उपेक्षित समस्या रही है। यह दृष्टिहीनता और दृश्य हानि के मुख्य कारणों में से एक है। हाल के वर्षों में इसके बढ़ते मामलों ने इसे एक विशेष शाखा के रूप में विकसित किया है। इस सम्मेलन का उद्देश्य इस क्षेत्र में अनुसंधान, प्रबंधन और नीतियों पर चर्चा करना है ताकि मरीजों को बेहतर सेवाएं दी जा सकें।

वाराणसी: संस्कृति और अध्यात्म का केंद्र

वाराणसी, जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है, विश्व के सबसे प्राचीन जीवित शहरों में से एक है। यह भगवान शिव की नगरी और चार जैन तीर्थंकरों की जन्मभूमि है। सारनाथ, जो वाराणसी के पास स्थित है, वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। गंगा के पवित्र तट पर बसी यह नगरी भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और परंपराओं का केंद्र है।
मुख्य आकर्षणों में काशी विश्वनाथ मंदिर, गंगा आरती, देव दीपावली, काल भैरव मंदिर, तुलसी मानस मंदिर और दुर्गा मंदिर शामिल हैं। इसके अलावा, बनारसी साड़ी, शास्त्रीय संगीत और स्थानीय कला भी यहां की पहचान हैं।

प्रतिभागियों के लिए विशेष अनुभव

आयोजकों ने प्रतिभागियों के लिए बनारस की पारंपरिक संस्कृति और विशेष आतिथ्य का अनुभव प्रदान करने की योजना बनाई है। इसमें “बनारसी पान” का स्वाद, गंगा घाटों की सैर, सांस्कृतिक कार्यक्रम और शास्त्रीय संगीत का आयोजन शामिल है।

आयोजन समिति का संदेश

आयोजन अध्यक्ष प्रो. वी.पी. सिंह और आयोजन सचिव प्रो. आर.पी. मौर्य ने सम्मेलन में शामिल होने वाले सभी अतिथियों, डॉक्टरों और शोधकर्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि यह सम्मेलन नेत्र चिकित्सा क्षेत्र में नई दिशाओं की खोज करने और ज्ञान साझा करने का अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि वाराणसी की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव इस आयोजन को और भी खास बनाएगा।

सम्मेलन का उद्देश्य और अपेक्षा

यह आयोजन न केवल नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में उन्नति के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर विशेषज्ञों के अनुभव साझा करने और नई तकनीकों को अपनाने का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।

“काशी ऑप्थल ट्रॉमाकॉन-2024” निश्चित रूप से प्रतिभागियों को एक यादगार अनुभव प्रदान करेगा और नेत्र चिकित्सा में उभरती चुनौतियों के समाधान के लिए नए विचारों को जन्म देगा।

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