मिर्जापुर:चरणाट धाम में 23 से 26 दिसंबर आयोजित होगा, अखिल भारतीय प्राकट्य महोत्सव
गुसाईं श्री विट्ठल नाथ के चार दिवसीय प्राकट्योत्सव में जुटेंगे देश भर के वैष्णव जन
तारा त्रिपाठी
चुनार (मीरजापुर) बल्लभ संप्रदाय के अनुयायियों व वैष्णवजनों की अंतर राष्ट्रीय तीर्थस्थली के रूप में प्रसिद्ध चुनार के आश्चर्य कूप स्थित श्रीबल्लभाचार्य व श्री गुसाई विट्ठलनाथजी की बैठक में इस बार अखिल भारतीय चार दिवसीय प्राकट्योत्सव का आयोजन 23 से 26 दिसंबर तक किया जाएगा। जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से वैष्णवजन भाग लेंगे। किवदंतियों के अनुसार तीसरी पृथ्वी परिक्रमा कर जगदगुरु महाप्रभु श्रीबल्लभाचार्य विक्रम संवत् 1572 में यहां पधारे थे और यहीं गुंसाई श्रीविट्ठलनाथ का जन्म हुआ था।
-चार दिवसीय प्राकट्योत्सव का होगा आयोजन
गुसाईं श्री विट्ठलनाथ जी का 510वां प्राकट्य महोत्सव षष्ठपीठाधीश्वर श्री श्यामनोहरजी महाराज के निर्देशन में श्री मुकुंद गोपाल सेवा संस्थान चौखंभा वाराणसी द्वारा आयोजित किया जाएगा। 23 दिसंबर को वाराणसी चौखंभा मंदिर से पैदल चलकर शोभायात्रा चुनार पहुंचेगी। 24 दिसंबर की शाम श्रीगुंसाईजी एवं श्रीमहाप्रभुजी के तिलक दर्शन, बधाई व संकीर्तन सत्संग होगा। 25 दिसंबर को सुबह महाराजश्री व बावा साहब के केशर स्नान व शाम तीन बजे से अखिल भारतीय वैष्णव सम्मेलन, विद्वानों के प्रवचन, नंद महोत्सव, पालना दर्शन होगा तथा 26 दिसंबर को सरस्वती शिशु मंदिर में अध्ययनरत छात्रों के लिए सहायतार्थ कार्यक्रम आयोजित किए जाएगा।
-श्री गुसाईं श्री विट्ठलनाथ की है प्राकट्यस्थली
भारतीय दर्शन के उन्नायक व भारतीय संस्कृति के पोषक श्रीमत्प्रभुचरण गुसाईं श्रीविट्ठलनाथ का जन्म चरणाट चुनार में पौष कृष्ण नवमी को संवत 1572 (सन्ा 1515ई.) में हुआ। वे वल्लभ संप्रदाय के प्रवर्तक श्रीवल्लभाचार्यजी के द्वितीय पुत्र थे। प्राचीन काल से पुष्टिमार्ग के आचार्यों व सेवकों की साधना स्थली रहे चरणाट धाम को श्री वल्लभाचार्यजी ने भागवत सप्ताह परायण के उपरांत अपना निजधाम बना लिया। वैष्णवजन इसे गुप्त वृदांवन भी मानते हैं। वर्षभर देश-विदेश से हजारों तीर्थयात्री यहां आकर पूजन-अर्चन करते हैं। तीन आंगनों से सुशोभित बैठक का विशाल कलात्मक भवन अत्यंत ही भव्य और वास्तुकला का अनुपम उदाहरण है। इसके साथ ही दो विशाल जलाशय इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।