धर्मवाराणसी

मांअन्नपूर्णा के17दिवसीय महाव्रत का उद्यापन साथ हुआ समापन

  • किसानों ने अर्पित की अन्न की देवी को पहली फसल

. मंदिर प्रांगण समेत भगवती अन्नपूर्णा का हुआ धान की बलियों से श्रृंगार

  • कई महिला श्रद्धालुओ ने महाव्रत के सत्रह वर्ष भी पूरे किए
  • प्रसाद स्वरूप धान की बाली का वितरण रविवार को

वाराणसी: अन्न की देवी कही जाने वाली माँ अन्नपुर्णा का 17 दिवसीय महाव्रत का उद्यापन के साथ शनिवार को समापन हुआ। महाव्रत के समापन के दिन मां के दरबार को कई कुंतल धान की बालियों से सजाया गया। 17 दिन 17 गांठ व 17 धागे के इस कठिन महाव्रत में भक्त एक समय का ही फलहार करते हैं।
मां अन्नपूर्णा के 17 दिवसीय महाव्रत का आज हुआ उद्यापन, किसानों ने अर्पित की अन्न की देवी को पहली फसल।
मंदिर के अर्चकों ने मध्याह्न भोग आरती में माँ को स्नान कराया,नूतन वस्त्र,आभूषण धारण करा कर धान की बालियों से भव्य श्रृंगार कर आरती उतारी। आरती के बाद आम भक्तों के दर्शन के लिए पट खोल दिया गया। माँ का दरबार धान की बालियों से सजाया गया है। पूर्वांचल के किसान अपने खेत की पहली फसल माँ को अर्पित कर आशीर्वाद लेते दिखे। यही धान की बाली दूसरे दिन यानी रविवार को प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरित किया जाएगा, जिसे श्रद्धालु अपने अन्न के भंडार में रखते है।
महंत शंकर पूरी ने बताया कि हिंदू धर्म में देवी अन्नपूर्णा का विशेष स्थान है, मान्यता है कि जिस घर में भगवती का वास होता है, वहां हमेशा अन्न के भंडार भरे रहते हैं। उन्होंने कहा कि इस महाव्रत से किसी भी तरह का दुख-कष्ट दूर हो जाता है और परिवार में खुशहाली बनी रहती है।

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