लखनऊ : सुदृढ़ न्यायिक व्यवस्था से ही पूरे होंगे सुशासन के लक्ष्य : मुख्यमंत्री योगी


Chief editor by Ashok Kumar Mishra
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यह विश्वविद्यालय प्रदेश और देश दोनों के लिए गौरव का विषय है। यहां से निकलने वाले छात्र समाज और राष्ट्र की न्यायिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में दिया जाने वाला दीक्षा मंत्र, ‘सत्यं वद्, धर्मं चर’ (सत्य बोलो, धर्म का आचरण करो) भारत की प्राचीन गुरुकुल परंपरा की नींव है। यही भावना हमारे संविधान, संसद और न्यायपालिका के बोधवाक्य “धर्मो रक्षति रक्षितः”और “यतो धर्मस्य ततो जयः” में भी प्रतिबिंबित होती है। सीएम योगी ने कहा कि धर्म हमारे लिए जीवन पद्धति का हिस्सा है, जबकि उपासना आस्था का विषय है। धर्म का अर्थ है अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करना। इसी भावना के साथ युवाओं को आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की सफलता के लिए एक सुदृढ़ न्यायिक प्रणाली अत्यंत आवश्यक है।
न्याय व्यवस्था जितनी मजबूत होगी, सुशासन के लक्ष्यों को प्राप्त करना उतना ही सरल होगा। मुख्यमंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि प्राचीन काल का रामराज्य भेदभाव रहित और न्यायसंगत शासन का प्रतीक था, जिसे आज की आधुनिक व्यवस्था में सुशासन के रूप में प्राप्त किया जा सकता है।मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार ने न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ई-कोर्ट प्रणाली, वैकल्पिक विवाद निपटान (ADR), साइबर लॉ प्रशिक्षण, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग पर विशेष जोर दिया है। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में आधुनिक प्रशिक्षण कक्ष, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और छात्रावास के निर्माण कार्य भी कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्यायिक अधिकारियों, अभियोजकों, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के स्किल डेवलपमेंट और प्रशिक्षण के लिए सरकार निरंतर कार्य कर रही है। सीएम योगी ने कहा कि स्वतंत्रता के अमृत काल में भारत ने तीन नए कानूनों- भारतीय न्याय संहिता,भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता को लागू कर न्याय व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रूल ऑफ लॉ तभी प्रभावी हो सकता है जब बेंच (न्यायपीठ) और बार (अधिवक्ता समाज) के बीच बेहतरीन समन्वय हो। बेंच विवेक का प्रतीक है और बार संवेदना का। जब विवेक और संवेदना साथ आते हैं, तब न्याय का सच्चा स्वरूप मूर्त रूप लेता है। डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में इस वर्ष कई छात्र-छात्राओं ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर विभिन्न श्रेणियों में मेडल प्राप्त किए। एलएलएम वर्ग में हर्षिता यादव ने गोल्ड मेडल, आकृति श्रीवास्तव ने सिल्वर मेडल और ऋषभ ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। वहीं बीए एलएलबी वर्ग में अभ्युदय प्रताप को गोल्ड मेडल, साइमा खान को सिल्वर मेडल तथा दर्शिका पांडेय को ब्रॉन्ज मेडल से सम्मानित किया गया। बीए एलएलबी ऑनर्स के अंतर्गत विषयवार सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वालों में लॉ ऑफ टेक्सेशन में स्वर्णायती, क्रिमिनल लॉ में मुस्कान शुक्ला और कॉन्स्टिट्यूशनल लॉ में दर्शिका पांडेय को सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया।
विशेष पुरस्कारों में ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ का खिताब दर्शिका पांडेय को, ‘बेस्ट मोअरटर ऑफ द ईयर’ का सम्मान अभ्युदय प्रताप को तथा ‘बेस्ट परफॉर्मेंस इन यूपीएससी/स्टेट पब्लिक सर्विस एग्जाम’ का पुरस्कार धीरज दिवाकर को मिला। इसी प्रकार साइबर लॉ विषय में अमन कुमार ने गोल्ड, संयुक्ता सिंह ने सिल्वर और प्रांजल पांडेय ने ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त किया। इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स में आत्रेय त्रिपाठी को गोल्ड, अक्षिता सिंह को सिल्वर और श्रेया अवस्थी को ब्रॉन्ज मेडल दिया गया। वहीं मीडिया लॉ में राघव त्रिपाठी ने गोल्ड, इशिका गौतम ने सिल्वर और सान्या गांधी ने ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त कर विश्वविद्यालय का गौरव बढ़ाया।




