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अब दालमंडी में अतिक्रमण अभियान चलाने की तैयारी

चौड़ी होगी दालमंडी की सड़कें धमकेगा बुलडोजर

सरफराज अहमद

वाराणसी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर दालमंडी से चौक जाने वाली सड़क चौड़ी करने की कवायद शुरू हो गई है। अभी दालमंड़ी की सड़क कहीं संकरी तो कहीं चौड़ी है। इसकी वजह से आए दिन जाम की समस्या होती है। सड़क की चौड़ाई एक बराबर होने से लोगों को सहूलियत मिलेगी। पटरी पर दुकानें लगाने वाले विक्की कहते हैं कि सहूलियत तो सभी को होगी मगर किसी ने सोचा पटरी पर दुकानें लगाकर अपने परिवार का पेट पालने वाले लोग कहां जाएंगे इसकी कोई रुपरेखा निगम के पास है क्या? यह दर्द है पटरी के तमाम दुकानदारों का। खैर निगम को इससे क्या?

नगर निगम का कहना है कि उसने इसका प्राथमिक सर्वेक्षण किया है। राजस्व विभाग अब बंदोबस्ती नक्शे से इसका मिलान कर रहा है। इसी आधार पर सड़क को चौड़ा किया जाएगा। इसमें सबसे बड़ी बाधा अतिक्रमण और कुछ अवैध निर्माण हैं। इन्हें चिह्नित किया गया है।

पुलिस प्रशासन टीम की ओर से जल्द ही अवैध निर्माण तोड़ने की कार्रवाई होगी। इसके लिए जिला प्रशासन के साथ नगर निगम अधिकारियों की बैठक में यह तय हुआ है। अधिकारियों ने बताया कि सड़क चौड़ी होने से बाहर से आने वाले लोगों को नई सड़क से चौक जाने में आसानी होगी। यहां ज्यादातर कारोबारी सड़क को घेरकर अपनी दुकान चला रहे हैं। साथ ही तिरपाल लगाकर उन्होंने परिसर को भी ढ़क रखा है।

दालमंडी में नगर निगम की कई दुकानें हैं। इनका किराया नगर निगम लेता है। इसके अलावा यहां कुछ सरकारी जमीनों को भी कब्जामुक्त कराया जाना हैं। अतिक्रमण, सामान्य, प्रवर्तन, राजस्व, पुलिस, प्रशासन, वीडीए के सामंजस्य से इस कार्ययोजना को अमलीजामा पहनाया जाएगा।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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