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51 शक्तिपीठ एवं द्वादश ज्योतिर्लिंगों का महासमागम कार्यक्रम 30 व 1 दिसंबर को

सेंटर फॉर सनातन रिसर्च एवं ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में 29 नवंबर को दोपहर 12:00 बजे से दशाश्वमेध चितरंजन पार्क से 151 महिलाओं द्वारा कलश यात्रा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर तक निकाली जाएगी

देश विदेश से साढे 300 प्रतिनिधि साधु, संत, महात्माओं एवं पीठाधीश्वर काशी पहुंचेंगे

वाराणसी । बाबा विश्वनाथ की नगरी में पहली बार द्वादश ज्योतिर्लिंग और 51 शक्तिपीठ का महासमागम होने जा रहा है। काशी में द्वादश ज्योतिर्लिंग की मिट्टी और गंगाजल से पार्थिव शिवलिंग और 51 शक्तिपीठ की मिट्टी से मां दुर्गा की चल प्रतिमा का निर्माण शुरू हो गया है।भारत समेत नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान से शिव और शक्ति के मंदिरों के प्रतिनिधि इस आयोजन में हिस्सा लेंगे। दो दिवसीय समागम में 350 प्रतिनिधि शामिल होंगे। शिव की नगरी काशी में पहली बार द्वादश ज्योतिर्लिंग और 51 शक्तिपीठ के समागम की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। शिवलिंग के निर्माण के लिए द्वादश

ज्योतिर्लिंग और 51 शक्तिपीठों से मिट्टी काशी पहुंच चुकी है।कारीगर द्वादश ज्योतिर्लिंग की मिट्टी और गंगाजल से शिवलिंग तो दूसरी ओर 51 शक्तिपीठ की मिट्टी से मां दुर्गा की चल प्रतिमा तैयार कर रहे हैं। शिवलिंग और मां दुर्गा की चल प्रतिमा को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और मां विंध्यवासिनी के मंदिरों का भ्रमण कराया जाएगा।

सेंटर फॉर सनातन रिसर्च और ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट की ओर से दो दिवसीय अनूठे समागम का आयोजन रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में होगा। ट्रस्ट के रमन त्रिपाठी ने बताया कि इस महासमागम में बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल, तिब्बत में स्थित शक्तिपीठों के महंत व ट्रस्टी के आने की सहमति मिल चुकी है।

सभी शंकराचार्य और प्रमुख धर्माचार्यों के साथ ही यूपी, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, राज्यपाल को भी निमंत्रण पत्र भेजा गया है। महासमागम में उत्तर प्रदेश समेत पश्चिम बंगाल, झारखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, दिल्ली समेत अन्य स्थानों से धर्माचार्यों के आने की स्वीकृति आ चुकी है।

राजनाथ तिवारी ने बताया कि 29 नवंबर को चितरंजन पार्क से श्री काशी विश्वनाथ धाम तक कलश यात्रा निकालकर महासमागम का शुभारंभ होगा। 30 नवंबर को रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में महासमागम का उद्घाटन होगा। इसके मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक होंगे। एक नवंबर को समापन समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने की संभावना है।

त्रिलोक के नगरी काशी में पहली बार सेन्टर फॉर सनातन रिसर्च एवं ट्राईडेन्ट सेवा समिति ट्रस्ट के संयुक्त
तत्वावधान में सिगरा स्थित रूद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में दिनांक 30 नवम्बर एवं 1 दिसम्बर, 2024 को दो दिवसीय ‘‘माँ सती के 51 शक्तिपीठ एवं द्वादश ज्योर्तिलिंगों का महासमागम’’ का आयोजन किया जा रहा है इस महासमागम में 51 शक्तिपीठों के पीठाधीश्वर और धार्मिक दार्शनिक मां सती के एकीकृत एवं संपूर्ण रूप दर्शन को प्रस्तुत करेंगे साथ ही श्रीलंका नेपाल बांग्लादेश पाकिस्तान भारत की राज्य उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश राजस्थान गुजरात महाराष्ट्र पंजाब पश्चिम बंगाल तमिलनाडु जम्मू कश्मीर मेघालय त्रिपुरा असम मैसूर मानसरोवर आदि स्थान के साधु एवं संत और पीठाधीश्वर इस महा समागम में पधार रहे हैं दो दिवसीय महा समागम कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में बुधवार को सेंटर फॉर सनातन रिसर्च एवं ट्रिडेंट सेवा समिति ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉक्टर रमन त्रिपाठी राष्ट्रीय महामंत्री श्री लक्ष्मी नारायण शर्मा शक्तिपीठ महा समागम आयोजन समिति के मार्गदर्शक श्री प्रशांत हड़ताल कर श्री विशालाक्षी मंदिर के महंत पंडित राजनाथ तिवारी प्रोफेसर वॉचेस पति त्रिपाठी एवं अवधेश कुमार ने संयुक्त रूप से पत्रकार वार्ता में बताया कि शक्तिपीठों के समक्ष चुनौतियां जैसे अतिक्रमण धार्मिक स्वतंत्रता ज्ञान की आवश्यकता भ्रष्टाचार सुरक्षा पवित्रता स्वच्छता सरकारी हस्तक्षे पी मरम्मत और जीर्णोद्धार धार्मिक शिक्षा एवं जागरूकता आदि है संस्था के अध्यक्ष श्री त्रिपाठी ने बताया किसेंटर फॉर सनातन रिसर्च का मुख्य उद्देश्य अनेकों माध्यम से सनातन धर्म का कर प्रचार करना एवं रचनात्मक कार्यों के माध्यम से जन-जन तक सनातन धर्म के मूल्य धर्म दर्शन और संस्कारों को पहुंचना है राष्ट्रीय महामंत्री लक्ष्मी नारायण शर्मा ने पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि ट्रिडेंट सेवा समिति ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य भारत वर्ष में लाखों मंदिर रखरखाव के अभाव में जेल अवस्था में चल रहे हैं इस स्थिति को ठीक करने के उद्देश्य से युक्त ट्रस्ट का गठन किया गया है जो अपने समर्थ के अनुसार मंदिर के चरणों धार और उनके कायाकल्प के संकल्प को लेकर चलने के लिए प्रतिबद्ध है श्री प्रशांत हड़ताल कर ने बताया किशक्तिपीठ शक्तिपीठ या सिद्ध पीठ देवी पीठ जिसका अर्थ है शक्ति का आसान से उन स्थानों का ज्ञात होता है जहां शक्ति रूपा देवी का निवास है हिंदू धर्म के अनुसार जहां सती देवी के शरीर के अंग गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ बन गई वे अत्यंत पावन तीर्थ कहलाए यूट्यूब पवित्र शक्तिपीठ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर स्थापित है देवी पुराण में 51 शक्ति पाइथन का वर्णन है इन 51 शक्तिपीठों सेकुछ विदेश में भी है वर्तमान में भारत में 42 बांग्लादेश में चार पाकिस्तान में एक श्रीलंका में एक तिब्बत में एक तथा नेपाल में दो शक्तिपीठ स्थित है पत्रकार वार्ता में रामकृष्ण पांडे श्रीकांत पांडे सहित अनेक विद्वान उपस्थित रहे।

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