धर्म

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी

वाराणसी। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरानी की 266 वी बरसी पूरी अकीदत के साथ गुरुवार को मनाई गई। इस अवसर पर मौलाना ज़मीरूल हसन, मौलाना सैयद मोहम्मद अकील हुसैनी, डॉ. शफीक हैदर तथा मौलाना इब्ने हसन ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनकी दीनी और दुनियावी ख़िदमात पर रौशनी डाली। उलेमा ने कहा कि इल्म की रौशनी बिखेरने वाले शेख अली हजी बनारस से बेहद प्यार करते थे। उन्होंने कहा कि मैं बनारस छोड़कर नहीं जाऊंगा। ये इबादत की आम जगह है। यहां का बच्चा बच्चा मुझे राम और लक्ष्मण दिखाई देता है। वह दौर महाराजा बनारस चेतसिंह का था। महाराजा ने उन्हें जमीन दी जिस पर उन्होंने दरगाहे फातमान की स्थापना की। संयोजक सैयद फरमान हैदर ने मेहमानों का इस्तेकबाल किया । मुतवल्ली अब्बास रिज़वी शफक ने धन्यवाद दिया। इस अवसर पर हाजी आलीम हुसैन, साहब, समर बनारसी, तफसीर जौनपुरी, शब्बू, सैयद फिरोज हुसैन के अलावा बड़ी संख्या में मर्दो खवातीन और अकीदतमंद बच्चे मौजूद थे।

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मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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